
रिश्वत लेने की अनोखी तरकीब
हरियाणा के मत्स्य विभाग में जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात HCS अधिकारी मीनाक्षी दहिया के रिश्वत मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। ACB के अनुसार, दहिया ने अपनी निजी स्कूटी से एक चौकीदार को जिला मत्स्य अधिकारी से 1 लाख रुपए की रिश्वत लेने के लिए भेजा था। यह स्कूटी दहिया के नाम पर ही पंजीकृत है, जो इस मामले में उनकी संलिप्तता को और पुष्ट करता है।
चौकीदार और स्टेनोग्राफर की भूमिका
ACB की जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार चौकीदार सतिंदर सिंह वास्तव में शहरी स्थानीय निकाय विभाग का कर्मचारी है, लेकिन वह दहिया के घर पर काम करता था। उसकी नियुक्ति 2020 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में हुई थी। इसके अलावा, दहिया के स्टेनोग्राफर जोगिंदर सिंह को भी बिचौलिए के तौर पर काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह तथ्य इस मामले में एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
इस प्रकरण में एक नया मोड़ तब आया जब यह खुलासा हुआ कि मत्स्य विभाग के एक सेवादार से एसीबी ने चार्जशीट से नाम हटाने के लिए एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह रिश्वत लेन-देन का मामला तब और गंभीर हो गया जब एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रिश्वत देते समय ही स्टेनोग्राफर जोगेंद्र सिंह और सेवादार सतेंद्र सिंह को मौके पर गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि मत्स्य विभाग के रिश्वत केस की एफआईआर में संयुक्त सचिव मीनाक्षी दहिया का नाम भी एसीबी की जांच में उजागर हुआ है।
रिकॉर्डिंग बनी सबूत
ACB के पास मीनाक्षी दहिया और जिला मत्स्य अधिकारी राजन खोरा के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है। इस रिकॉर्डिंग में दहिया ने खोरा को आश्वासन दिया था कि उनका काम हो जाएगा और आदेश जल्द ही जारी किए जाएंगे। यह रिकॉर्डिंग 19 अप्रैल को की गई थी, जब खोरा दहिया के कार्यालय गया था। इस साक्ष्य से मामले में दहिया की संलिप्तता और पुष्ट होती है।
कानूनी कार्रवाई और फरार अधिकारी
पंचकूला की एक अदालत ने मीनाक्षी दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जो उनकी स्थिति को और कठिन बना देता है। ACB ने इस मामले में दहिया को नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे पूछताछ करने की मांग की गई है। हालांकि, 29 मई से दहिया फरार हैं और उनका मोबाइल फोन भी बंद है। ACB अभी तक उनकी लोकेशन का पता नहीं लगा पाई है।
यह मामला हरियाणा में प्रशासनिक भ्रष्टाचार के गहरे जड़ों की ओर इशारा करता है। एक वरिष्ठ HCS अधिकारी का इस तरह के मामले में शामिल होना चिंता का विषय है। ACB की जांच से यह भी पता चलता है कि कैसे सरकारी तंत्र में रिश्वतखोरी के लिए जटिल नेटवर्क काम कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ACB इस मामले में क्या और खुलासे करती है और क्या मीनाक्षी दहिया कानून के शिकंजे में आती हैं। इस मामले का नतीजा न केवल हरियाणा के प्रशासनिक ढांचे पर प्रभाव डालेगा, बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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