
हरियाणा में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव का परिणाम खतरे की घंटी बजा रहा है, ऐसे में विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा सरकार हर वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसके चलते नित नई घोषणा या पूर्व में की गई घोषणाओं को लागू करने के लिए में जुटी है नायब सरकार। ऐसे में कर्मचारी वर्ग पर भी सरकार मेहरबान होती नज़र आ रही है। जी हां अब नायब सरकार पक्के कर्मचारियों और कच्चे कर्मचारियों को लुभाने की जुगत में है।
कर्मचारियों के हित के लिए कुछ अहम फैसले
इसीलिए सरकार कर्मचारियों के हित के लिए कुछ अहम फैसले ले रही है। सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके तहत डीसी रेट पर लगे उन कर्मचारियों को पक्का किया जाना है, जिनका कार्य संतोषजनक है और जो स्वीकृत पद के मुकाबले लगे हुए हैं। हालांकि सरकार फिलहाल ये तय नहीं कर पाई है कि इस दायरे में पांच साल से कार्यरत कर्मचारियों को लिया जाए या सात साल से काम कर रहे कर्मचारियों को शामिल किया जाए। इसको लेकर हाई लेवल पर मंथन चल रहा है। संभावना है कि जल्द ही सरकार इस मसौदे को तैयार कर कच्चे कर्मचारियों के लिए पक्का करने की पॉलिसी जारी कर सकती है।
डीसी रेट और एडहॉक पर लगे कर्मचारियों पहले मिलेगा मौका
सूत्रों के मुताबिक़ हरियाणा सरकार पक्के कर्मचारियों और कच्चे कर्मचारियों के संबंध में सभी विभागाध्यक्षों से पूरी जानकारी जुटा चुकी है। मुख्य सचिव ने गत माह ही सभी से खाली और भरे हुए पदों को ब्योरा मांगा था। बाकायदा ग्रुप डी और सी के कच्चे कर्मचारियों, जिनमें डीसी रेट, एडहॉक, पॉलिसी 2 के तहत लगे अनुबंधित कर्मचारियों का ब्योरा लिया गया है।
वहीं सरकार की मंशा है कि शुरुआत में डीसी रेट और एडहॉक पर लगे कर्मचारियों को पक्का करने का मौका दिया जाए। इसके बाद अन्य श्रेणी के कर्मचारियों के बारे में विचार होगा, क्योंकि हरियाणा में अलग-अलग आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत अनुबंध के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती हुई है। सीएमओ के एक अधिकारी ने बताया कि मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए जल्द ही मुख्यमंत्री के साथ बैठक होनी है, इसके बाद कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
प्रदेश में 1.08 लाख से अधिक पद खाली
ग़ौरतलब है कि प्रदेश में कुल स्वीकृत 4.50 लाख पदों के मुकाबले लगभग 2.70 लाख नियमित कर्मचारी कार्यरत हैं। अलग-अलग विभागों, निगमों और बोर्डों में 1.08 लाख पद खाली हैं। इनमें ग्रुप डी और सी के सबसे अधिक पद खाली हैं। प्रदेश में अनुबंध के आधार पर लगाए गए 1.25 लाख कर्मचारी तैनात हैं। लगभग 1.05 लाख ठेके के कर्मचारियों को कौशल रोजगार निगम में समायोजित किया गया है। वहीं, अनुबंध के आधार पर काम करने वाले 14 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक भी शिक्षा विभाग में काम कर रहे हैं।
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