
एसपी अजीत सिंह शेखावत के मार्गदर्शन में नशा मुक्त हरियाणा अभियान के तहत पानीपत को नशा मुक्त बनाने के लिए चलाई मुहिम के सार्थक परिणाम सामने आ रहे है। मुहिम के तहत बुधवार को जिला के दो और गांव बाल जाटान व रेर कलां को नशा मुक्त घोषित किया गया।
इस घोषणा से जिला के नशा मुक्त गांवों व वार्डों की कुल संख्या 59 हो गई है। इसमे 53 गांव व 6 कॉलोनियां है। थाना सदर क्षेत्र के दोनों गांव में बुधवार को कार्यक्रम आयोजित कर उप पुलिस अधीक्षक राजबीर सिंह ने गांव के सरपंचों व उपस्थित मौजिज व्यक्तियों व युवा शक्ति को बधाई दी और नशे के खिलाफ जागरूक कर नशा न करने की शपथ दिलाई।
नशा मुक्त करवाने में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें
इस अवसर पर उप पुलिस अधीक्षक राजबीर सिंह ने कहा कि अन्य ग्राम पंचायतें भी नशा मुक्त गांवों का अनुसरण कर अपने-अपने गांवों को नशा मुक्त करवाने में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें। समाज से नशे को पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को नशे के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उप पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सभी ग्राम पंचायतें, सामाजिक संस्थाएं तथा यूथ क्लब अपनी अग्रणी भूमिका निभाएं, ताकि समाज को पूरी तरह से नशा मुक्त किया जा सके।
नशे के खिलाफ जोरदार अभियान
जिला पुलिस अपने स्तर पर नशे के खिलाफ जोरदार अभियान चलाए हुए हैं। जिसके तहत नशा तस्करों पर शिकंजा कसा जा रहा है और युवाओं को विभिन्न खेल गतिविधियों तथा कार्यक्रमों के माध्यम से नशे के खिलाफ जागरूक भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
पुलिस के अभियान से प्रेरित होकर जहां युवा शिक्षा और खेल गतिविधियों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उप पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जन आंदोलन में प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी अति आवश्यक है, ताकि नशे के खिलाफ अभियान को पूरी तरह से सफल बनाया जा सके। इस मौके पर थाना सदर प्रभारी इंस्पेक्टर राकेश कुमार, गांव बाल जाट्टान के सरपंच सुरेंद्र राठी, गांव रेर कलां गांव के सरपंच हरदीप सिंह, दोनों गांव के मौजिज व्यक्ति व युवा मौजूद रहे।
नशा मुक्त घोषित करने के ये हैं मानक
उप पुलिस अधीक्षक राजबीर सिंह ने बताया कि जिला के प्रत्येक गांव व कॉलोनियों में ग्राम प्रहरी नियुक्त किए गए है। गांव की पंचायत व पुलिस टीम गांवों में सर्वे करती है और जो युवा नशे की चपेट में मिलते हैं उनकी काउंसलिंग की जाती है और अगर जरूरत होती है उपचार करवाया जाता है। टीम गांव में जागरूकता अभियान चलाती है, इसके बाद ग्रामीणों के साथ बैठक होती है। बैठक में तय होता है कि गांव में कोई युवा नशा नहीं ले रहा है और सप्लायर भी नहीं है। इसके बाद पंचायत के कहने पर गांव को नशा मुक्त घोषित कर दिया जाता है।
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