
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती हैं शरीर से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं, खासकर आंखों से जुड़ी। आज के समय में बहुत से लोग लंबे समय स्क्रीन पर बिताते हैं, जिससे आंखों की रोशनी कमजोर होने के साथ आंख संबंधित कई समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
स्क्रीन पर समय बिताने के साथ पोषक तत्वों की कमी, खराब लाइफस्टाइल और लंबे समय तक कम रोशनी में काम करने की वजह से आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती हैं। 30 की उम्र के बाद अगर हम आंखों की ठीक से देखभाल नहीं करते हैं,तो दृष्टि कमजोर होने के साथ भविष्य में आंखें खराब हो सकती हैं। 30 की उम्र के बाद आंखों की देखभाल कैसे करें।
स्वस्थ जीवन शैली को फॉलो करें
30 की उम्र के बाद आंखों की रोशनी बनाएं रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को फॉलो करना जरूरी होता है। डाइट में फलों, सब्जियों और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर संतुलित आहार को शामिल करें। साथ ही नियमित तौर पर एक्सरसाइज या वॉक जरूर करें।
चश्मे का उपयोग करें
आंखों को हेल्दी और बीमारियों से बचाने के लिए चश्मा पहनना जरूरी होता है। जब भी आप धूप से बाहर निकले, तो यूवी प्रोटेक्टेड सनग्लासेस अवश्य पहनें। साथ ही स्क्रीन टाइम के समय भी अच्छी क्वालिटी का चश्मा अवश्य पहनें। ऐसा करने से आंखों की रोशनी कमजोर नहीं होगी।
20-20-20 रूल को फॉलो करें
आज के समय में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल काम का अभिन्न अंग बन गए है। ऐसे में आंखों को इनकीब्लू लाइट से बचाने के लिए हर 20 मिनट में, 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखने के लिए 20 सेकंड का ब्रेक लें। ऐसा करने से आंखों की थकान और तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
हाइड्रेटेड रहें
आंखों को हेल्दी रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना भी जरूरी होता है। हाइड्रेटेड रहने के लिए दिन में 2 लीटर पानी अवश्य पिएं। पानी के साथ नारियल पानी, सूप, जूस और हर्बल चाय का सेवन भी किया जा सकता हैं। लेकिन चाय और कॉफी के ज्यादा सेवन से बचें।
स्मोकिंग करने से बचें
स्मोकिंग का सीधा असर आंखों पर भी पड़ता है। स्मोकिंग करने से आंखों की विभिन्न बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आंखों को हेल्दी रखने के लिए स्मोकिंग करने से बचें। साथ ही अल्कोहल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
नैन को ऐसे मिल जाएगा चैन
- भारत ही नहीं, चीन, जापान, कोरिया आदि देशों में भी आंखों की परेशानी में भारी इजाफा (60 से 70 फीसदी) हुआ है।
- भारत में आजकल मोतियाबिंद की परेशानी 50 साल की उम्र से पहले शुरू होने लगी है। इसकी वजह उस शख्स की फैमिली हिस्ट्री हो सकती है। दरअसल, किसी के माता-पिता को मोतियाबिंद या ग्लूकोमा होने से उनके बच्चों को यह बीमारी 7-8 साल पहले होने की आशंका रहती है।
- अगर किसी को शुगर है तो उसे डायबिटिक रेटिनोपैथी होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं हाइपरटेंशन वालों को भी ऐसी परेशानी होती है। इसलिए शुगर और बीपी को काबू रखना जरूरी है। इसके लिए फिजिकल ऐक्टिविटी और सही डाइट सबसे सटीक उपाय हैं।
- जिन्हें शराब या सिगरेट की लत हो, उन्हें भी आंखों की परेशानी का खतरा रहता है।
- अगर किसी को पास की चीजें देखने में दिक्कत हो तो इसे हाइपरमेट्रोपिया भी कहते हैं। इसमें इमेज रेटिना के पीछे बनती है। यह दिक्कत अमूमन 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है।
- सही आंखों का फॉर्मूला 6/6 है। इसका मतलब है कि दोनों आंखें 6 मीटर की दूरी तक की चीजों को सही तरीके से पढ़ पाती हैं।
- बच्चा पास में बैठा हो तो टीवी देखते हुए किसी भी चैनल पर लिखे हुए छोटे अक्षरों को 6 फुट की दूरी से बच्चे से पढ़ने को कहें जिन्हें आप सही से देख पा रहे होते हैं और पढ़ पा रहे होते हैं। यह बच्चे की आंखों की स्थिति जानने के लिए एक बेहतरीन टेस्ट है। अगर बच्चा उन्हें पढ़ नहीं पा रहा है तो इसका मतलब हुआ कि बच्चे की आंखों में परेशानी है। ऐसे में डॉक्टर को दिखाएं।
- अगर किताबें हैं तो ई-बुक से पढ़ाई न की जाए।
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