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The Haryana Story | सोशल मीडिया पर छिड़ा राजनीतिक युद्ध: भाजपा, कांग्रेस और जेजेपी आमने-सामने

सोशल मीडिया पर छिड़ा राजनीतिक युद्ध: भाजपा, कांग्रेस और जेजेपी आमने-सामने

हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख बदलने के बाद, दुष्यंत चौटाला की एक पोस्ट ने शुरू किया शायराना अंदाज में तीखी बहस

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख में बदलाव के बाद, राज्य की राजनीति सोशल मीडिया पर गरमा गई है। यह सब शुरू हुआ पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की एक पोस्ट से, जिसमें उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा था। इसके बाद, प्रमुख राजनीतिक दलों - भाजपा, कांग्रेस और जेजेपी - के बीच शायराना अंदाज में एक तीखी बहस छिड़ गई।

दुष्यंत चौटाला ने अपनी पोस्ट में लिखा, "दिन तो बढ़े है बीजेपी के सिर्फ चार देखना, अब और ज्यादा बुरी होगी उनकी हार देखना।" उन्होंने यह भी कहा कि जनता ने भाजपा को बाहर भेजने का मन बना लिया है और चुनाव प्रचार के लिए मिले अतिरिक्त दिनों का उपयोग वे पूरे जोश के साथ करेंगे।

इस पोस्ट के जवाब में हरियाणा कांग्रेस ने कटाक्ष करते हुए लिखा, "फिर ना ठग ले कोई गद्दार देखना, रूप बदल कर आये हैं भाजपा के यार देखना।" यह स्पष्ट रूप से भाजपा और जेजेपी के पिछले गठबंधन और उसके टूटने की ओर इशारा था।

भाजपा ने इस बहस में कूदते हुए जवाब दिया, "जलेंगे चमचे खिलेंगे फूल, बार-बार देखना, बनेगी तीसरी बार भाजपा की सरकार देखना।" इस तरह, भाजपा ने अपनी जीत का दावा किया और विरोधियों पर तंज कसा।

कांग्रेस ने भी पीछे नहीं रहते हुए भाजपा की पोस्ट पर पलटवार किया। उन्होंने लिखा, "अख मेरे यार दी दुखे, मेरी आंख में आ गई लाली..., कहा दुष्यंत जी को था, लेकिन बचाव में शायरी भाजपाई पढ़ रहे हैं। ऐसा याराना और कहां!"

जेजेपी ने भी इस ऑनलाइन बहस में हिस्सा लिया। उन्होंने भाजपा की पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा, "लोग इतनी बड़ी देंगे बीजेपी को हार देखना, दहाई का आंकड़ा भी नहीं होगा पार देखना।" इसके अलावा, कांग्रेस की पोस्ट पर भी जेजेपी ने प्रतिक्रिया दी, "फिर ना आएं जमीनों के लुटेरे, दामादों के हितैषी देखना, हकलाने लगेंगे बाप-बेटा, लोग हालत करेंगे ऐसी देखना।" 

यह सोशल मीडिया पर चल रहा राजनीतिक युद्ध हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों की गरमाहट को दर्शाता है। हर दल अपने-अपने तरीके से जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। इस ऑनलाइन बहस से यह भी स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया अब राजनीतिक संदेश फैलाने और विरोधियों पर प्रहार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। 

चुनाव की नई तारीख के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ऑनलाइन युद्ध वास्तविक चुनाव प्रचार में भी परिलक्षित होगा और इसका मतदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

 

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