
हरियाणा की सफीदों सीट मुकाबला काफी दिलचस्प होता नजर आ रहा, चूंकि यहां भाजपा ने टिकट प्रबल दावेदार जसबीर देशवाल को दरकिनार करते हुए रामकुमार गौतम को टिकट देकर मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस से अपना विश्वास फिर से सुभाष गांगोली पर जताया है। ऐसे में जसबीर देशवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठान ली है। जसबीर देशवाल द्वारा निर्दलीय चुनावी रण में उतर जाने के बाद उनकी जीत लगातार चर्चा में है। इस सीट को लेकर मौजूदा राजनीतिक समीकरणों के मद्देनजर जसबीर देशवाल की बेहद मजबूत स्थिति में नजर आ रही हैं, जिसके चलते विरोधी दलों के कैंडिडेट्स खासी परेशानी में नजर आ रहे हैं।
इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने बाहरी उम्मीदवारों को गले नहीं लगाया
गौरतलब है कि जींद जिले के सफीदों विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज कुछ अलग किस्म का है। इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने चुनाव में कभी भी बाहरी उम्मीदवारों को गले नहीं लगाया। जब भी सफीदों से बाहर के किसी प्रत्याशी पर दांव लगाया गया, सफीदों के लोगों ने उसे चुनावी दंगल में धूल चटा दी। सफीदों के मतदाताओं का यही मिजाज जजपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले रामकुमार गौतम को डरा रहा है, जिनको सफीदों से भाजपा ने टिकट देकर मैदान में उतारा है।
11 सितंबर को नामांकन दाखिल करने जाएंगे जसबीर
वहीं सफीदों हलके की जनता ने भी जसबीर देशवाल को पगड़ी बांधकर कहा कि वह चुनाव जरूर लड़ें, सब उनके साथ हैं। जिन लोगों ने उनको धोखा दिया है, उनको सबक सिखाना जरूरी है। देशवाल ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों का दबाव बढ़ता देख ये निर्णय ले लिया है कि वह अब हर हाल में चुनाव लड़ेंगे और 11 सितंबर को पुरानी अनाज मंडी से नामांकन दाखिल करने जाएंगे। वहीं कुछ रिपोर्ट्स और राजनीतिक विशेषज्ञों की राय अनुसार सफीदों सीट पर मुकाबला कांग्रेस और निर्दलीय के बीच रहेगा और क्योंकि सफीदों की फ़ितरत रही है अपनी मर्जी और पसंद से उम्मीदवार का चयन कर उसे जिताना, ऐसे में जनता की पसंद बन रहे जसबीर देशवाल।
लोगों ने पगड़ी बांधकर चुनाव लड़ने का बनाया दबाव
उल्लेखनीय है कि जसबीर देशवाल भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने सफीदों से रामकुमार गौतम को टिकट दे दिया है। इससे सफीदों में टिकट चाहने वालों में नाराजगी है। टिकट की घोषणा के बाद जसबीर ने आवास तथा कार्यालय से भाजपा के बैनर तथा पोस्टर उतार दिए थे। जसबीर देशवाल ने कार्यकर्ताओं की बात को मानते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। दो दिन पूर्व हलके के आधा दर्जन गांवों से काफी संख्या में लोग पहुंचे और उनको पगड़ी बांधकर चुनाव लड़ने के लिए कहा।
गौतम के लिए अभी से बाहरी का नारा लग चुका
सफीदों को धान के कटोरे के रूप में जाना जाता है। यह गैर जाट बहुल सीट है, लेकिन जाटों की संख्या भी कम नहीं है। इस विधानसभा सीट से सभी जातियों के विधायक बनते रहे हैं। सफीदों का नाम हैचरी के व्यवसाय में पूरे एशिया में जाना जाता है। यहां पर एक लाख 94 हजार 500 मतदाता हैं। इनमें 1,04,000 के आसपास पुरुष और 95000 के आसपास महिला मतदाता हैं। यहां गैर जाट मतदाताओं की संख्या 65 प्रतिशत है। यहां मुकाबला निर्दलीय तथा कांग्रेस के बीच होने की संभावना है, क्योंकि भाजपा के रामकुमार गौतम के लिए अभी से बाहरी का नारा लग चुका है।
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