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The Haryana Story | सालाना उर्स को लेकर ''एक मज़हब..एक ही विचारधारा'' आमने-सामने, अब सुलझा विवाद, तैयारियां शुरू

सालाना उर्स को लेकर ''एक मज़हब..एक ही विचारधारा'' आमने-सामने, अब सुलझा विवाद, तैयारियां शुरू

कुछ दिन पहले उर्स आयोजन को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए थे। एक पक्ष उर्स मनाने की बात कह रहा था तो दूसरा उसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा के नूंह जिला के गांव पल्ला स्थित शेख मूसा चिश्ती दरगाह पर आगामी 30 नवंबर, शनिवार को सालाना उर्स प्रस्तावित है, लेकिन कुछ दिन पहले एक वर्ग की ओर से पंचायत कर उर्स आयोजन का विरोध किया गया था। अब नूंह जिला प्रशासन ने आयोजन की अनुमति देकर इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है और सालाना उर्स को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद भी शुरू कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले उर्स आयोजन को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए थे। एक पक्ष उर्स मनाने की बात कह रहा था तो दूसरा उसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था। इससे एक ही समुदाय से अलग-अलग धार्मिक आस्था रखने वाले दो वर्गों में विवाद पैदा हो गया था।

धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी

वहीं इस मामले को लेकर उर्स आयोजन कमेटी से जुड़े लोगों ने धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। इस संदर्भ में उन्होंने सीधे तौर पर जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री से शिकायत की थी, जिसमें जल्द से जल्द उर्स आयोजन की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। उर्स आयोजन कमेटी एवं सूफिया ए इकराम वेलफेयर सोसाइटी की ओर से मोहम्मद रफीक ने बताया कि गांव पल्ला में हजरत दादा सईद शेख मूसा चिश्ती की दरगाह है।

जहां पर प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी 713 वां उर्स आगामी 30 नवंबर को मनाया जाना प्रस्तावित है, जिसके आयोजन की सभी तैयारी कर ली गई है। इसके लिए प्रशासन से अनुमति मांगी गई है जो मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि मेवात की धरती ऐतिहासिक रूप से सूफी संत एवं दरगाहों की धरती है। जहां पर हिंदू मुस्लिम संस्कृति को मानने वाले लोग भी सूफी दरगाहों पर आस्था रखते हैं। 

उर्स आयोजन के खिलाफ आमजन को बरगलाने का प्रयास किया गया 

मोहम्मद रफीक ने कहा कि सालाना उर्स को लेकर कुछ कट्टरवादी विचारधारा के संगठनों से जुड़े लोगों ने पल्ला दरगाह पर 20 नवंबर को एक पंचायत का आयोजन किया था, जिसमें समाज व कानून को ताक पर रखते हुए सालाना उर्स को आयोजित ना होने की चेतावनी दी थी और साथ ही उर्स आयोजन के खिलाफ आमजन को बरगलाने का प्रयास किया गया था।

रफीक कादरी ने बताया कि पल्ला में स्थित दरगाह वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है, जबकि उर्स और सूफीवाद में आस्था नहीं रखने वाले लोगों ने इधर अवैध कब्जा किया हुआ है। जब प्रस्तावित उर्स को लेकर उर्स आयोजन कमेटी की ओर से 13 नवंबर को दरगाह की सफाई और पुताई करने हेतु सफाई कर्मी भेजे गए तो अवैध कब्जा करने वाले लोगों द्वारा उनका विरोध किया गया। साथ ही धमकी देकर भगा दिया। 

अब मसला पूरी तरह सुलझ चुका

आयोजक कमेटी ने प्रशासन से मांग की है कि उर्स आयोजन सुरक्षा पूरक तरीके से कराया जाए। कमेटी के लोगों का दावा है कि प्रस्तावित उर्स में दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान आदि से बड़े संख्या में लोग पहुंचेंगे। कार्यक्रम एक दिवसीय होगा।

आयोजन में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी मुख्य अतिथि होंगे। जिला प्रशासन ने जो अनुमति दी है, उसका पालन होगा। एसपी नूंह को भी ज्ञापन दिया था। रुकावट आ रही थी, लेकिन अब मसला पूरी तरह सुलझ चुका है। पल्ला सरपंच जुबेर ने भी अब अपनी सहमति जता दी हैं। मजार-दरगाह पर सभी धर्मों के लोग आते हैं।

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