
दीवारों के भी कान होते हैं, दीवारें भी सुनती हैं ये कहावत तो अक्सर सुनते रहते है, लेकिन ये दीवारें सच में बोलती भी हैं ये शायद पहली दफा सुन रहे होंगे। जी हां, हरियाणा के जींद जिला के जुलाना खंड के गांव बुड्ढा खेड़ा की दीवारे बोलती हैं, और इन दीवारों को बोलना सिखाया हैं, यहां की दो महिला सरपंचों ने। ये कैसे सम्भव हुआ, उसके लिए पढ़िए पूरी ख़बर ..
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में ग्राम पंचायत का स्तर को उठाने के लिए गांव की दशा सुधारने और, सुन्दर बनाने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। जहां पंचायत में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिला आरक्षण लागू किया गया है। वहीं जुलाना खंड के बुढाखेड़ा गांव की महिला सरपंच ने भी साबित कर दिया वह काम करने की जिद्द और जुनून हो तो सब सम्भव है। आज इस गांव की महिला सरपंच किसी से पीछे नहीं है।
सभी सार्वजनिक दीवारों पर संदेश लिखे गए
गांव की पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच दोनों महिला सरपंच मिलकर गांव को आगे ले जाने का प्रयास कर रही है और लोगों को जागरूक करने के लिए गांव के सभी सार्वजनिक दीवारों पर संदेश लिखे गए हैं, जिससे यह कहावत साबित होती है कि दीवारे सिर्फ सुनती नहीं दीवारें बोलती भी हैं, जिसका सीधा सा असर गांव बुड्ढा खेड़ा की दीवारों पर देखने को मिल रहा है। गांव की पूर्व सरपंच कविता रानी और वर्तमान सरपंच अनिता चौहान अपने गांव को मॉडल गांव बनाने की ओर अग्रसर है।
प्रदेश में फाइव स्टार रेटिंग ग्राम पंचायत के तहत सम्मानित
गांव की पंचायत को मॉडर्न पंचायत बनाने के लिए जो मुहिम पूर्व सरपंच कविता देवी द्वारा शुरु की गई थी, इस मुहिम को अब वर्तमान सरपंच भी आगे बढ़ा रही हैं। पहले भी इस गांव को प्रदेश में फाइव स्टार रेटिंग ग्राम पंचायत के तहत सम्मानित किया गया था, तो अब उसी को आगे बढ़ाने के लिए वर्तमान सरपंच अनिता चौहान भी प्रयास है तथा गांव के लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। आज हर तरफ बुढाखेड़ा की गांव की दीवाररों पर लिखे स्लोगन लोगों को संदेश दे रहे हैं कि हमें अपने जीवन में इन संदेशों को धारण करना चाहिए। इस प्रकार दीवारों पर लिखे संदेश देख दूसरी पंचायती भी प्रभावित हो रही है।
हर दीवार कुछ सन्देश दे रही
गांव की सरपंच और वर्तमान सरपंच का कहना है कि उन्होंने अपने गांव की सार्वजनिक दीवारों पर स्लोगन लिखे है, ताकि लोगों को इसे कुछ प्रेरणा मिले और गांव को साफ स्वच्छ रखने तथा इन संदेशों को जीवन में धारण कर आगे बढ़ाने में सहयोग करें। दोनों सरपंचों ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी को जागरूक होने की जरूरत है, गांव में जो भी जिस भी गले से गुजरते हैं तो हर दीवार कुछ सन्देश दे रही है, जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, बेटी खिलाओ, कन्या भ्रूण हत्या, जल बचाओ, पर्यावरण बचाओ, नशा नाश का कारण, शिक्षा का महत्व, संस्कारों का महत्व, महापुरुषों के विचार आदि से संबंधित स्लोगन्स और नारे लिखे गए हैं, जो एक रास्ता दिखाने का काम का रहे हैं। ग्रामीण भी महिला सरपंचों की कार्य-प्रणाली और इनके द्वारा इस संदेशात्मक पहल की खूब सराहना कर रहे हैं।
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