
हम अपने जीवन में खुशियों को टालते रहते हैं। हम अपनी अपनी खुशियों को किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति में ढूंढते हैं। जब मिल जाए तो तुरंत दूसरी खुशी की इच्छा मन में जाग जाती है और ना मिले तो दुखी हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि खुशियों का कोई रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है। जीवन में छोटी-छोटी चीजों का भी आनंद लें, क्योंकि एक दिन आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे कि वे तो बड़ी चीजें थीं। छोटी चीजें जरूरी हैं क्योंकि वे हमारे जीवन के विशाल बहुमत को शामिल करती हैं। महत्वपूर्ण घटनाएं छिटपुट रूप से ही घटित होती हैं। जब हम छोटी-छोटी चीजों की उपेक्षा करते हैं, तो अपने जीवन का काफी आनंद लेने से चूक जाते हैं।
अप्रिय या अप्रत्याशित चीजों को वास्तविक जीवन में रुकावट मानना बंद कर देना चाहिए
छोटी-छोटी बातों की सराहना किए बिना केवल बड़ी चीजों के बारे में सोचना हानिकारक भी हो सकता है। भव्य उपलब्धियों से जुड़ा एक बाहरी और आंतरिक दबाव है, जिसमें दबने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ,हमें अप्रिय या अप्रत्याशित चीजों को वास्तविक जीवन में रुकावट मानना बंद कर देना चाहिए। सच तो यह है कि रुकावटें ही वास्तविक जीवन हैं। दरअसल ये जीवन में सरप्राइज फैक्टर ले आती हैं। सीधी-सीधी तो फिल्म भी अच्छी नहीं लगती, जब तक कि उसमें कुछ अप्रत्याशित घटित न हो जाए, फिर जीवन से सीधे की उम्मीद लगाना कहां तक सही है। इसलिए जो जो ख़ुशी अचानक मिलती है उसे सहेज का रखिये। ऐसे बहुत से उदाहरण है उम्मीद से विपरीत परिणामों से 'लाइफ टाइम' वाली ख़ुशी दी है।
एक्सीडेंटल डिस्कवरी' ने पेनिसिलिन का तोहफा दिया
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग की योजना 28 सितंबर 1928 की सुबह पहली एंटीबायोटिक की खोज कर मेडिसिन की दुनिया में क्रांति लाने की बिल्कुल भी नहीं थी। वह तो एक काम को अधूरा छोड़कर सोए थे। लेकिन, उनसे एक पेट्री डिश खुली रह गई और जो हुआ उसने हमें पेनिसिलिन का तोहफा दिया। यह घटना जितनी साधारण लगती है, उसका असर उतना ही असाधारण था। इसे हम एक 'एक्सीडेंटल डिस्कवरी' कह सकते हैं, यानी आकस्मिक खोज। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है। कई बार ये एक्सीडेंट किसी पेट्री डिश के बजाय किसी शख्स के साथ ही हो जाते हैं।
कई बार जीवन में कुछ ऐसा होता है, जो हमारी योजनाओं का हिस्सा नहीं होता
हाल में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले रविचंद्रन अश्विन ने जब टेस्ट में 500 विकेट पूरे किए तो खुद को 'एक्सीडेंटल स्पिनर' कहा था। उनका तो शुरूआती फोकस था बैटिंग करने पर और वह बैटिंग पर ही फोकस जमाए रखते अगर इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपर किंग्स के ड्रेसिंग रूम में एक दिन मुथैया मुरलीधरन ने यह न कहा होता कि मैं नई गेंद से बोलिंग नहीं करूंगा। मुथैया का इनकार अश्विन के लिए मौका लेकर आया और हमें भारत के सबसे सफल बॉलर में से एक मिला। कई बार जीवन में कुछ ऐसा होता है, जो हमारी योजनाओं का हिस्सा नहीं होता, लेकिन वही हमारे लिए सबसे बड़ा बदलाव बन जाता है। न्यूटन का सेब के पेड़ के नीचे बैठना और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोज लेना एक ऐसा ही उदाहरण है।
जिंदगी हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, कभी-कभी यही अनिश्चितता लेकर आती है नई संभावनाएं
ऐसी घटनाएं यह दिखाती हैं कि जिंदगी हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, लेकिन कभी-कभी यही अनिश्चितता नई संभावनाएं लेकर आती है। पुरानी कहावत है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है और संयोग से यह अच्छा हम सभी के साथ होता है। कई बार कुछ ऐसा अनायास हो जाता है, जिससे जीवन के सारे गुणा-गणित फिट बैठ जाते हैं। अनायास मिले इस आनंद का कोई तोड़ नहीं। वैसे भी ज्यादातर खुशियां एक्सीडेंटल यानी आकस्मिक ही होती हैं। जब हम इनके पीछे भागते हैं, तो ये रास्ता बदल लेती हैं, चकमा दे देती हैं।
पुराने दोस्त का अचानक से मिल जाना, बरसों पहले गुम कोई सामान हाथ लग जाना..
अब खुशियों का कोई तयशुदा रूट तो होता नहीं, इसलिए इनके पीछे भागते-भागते आखिरकार थक कर रुक जाना पड़ता है। फिर, इंसानी फितरत होती है हमेशा कमियों को देखना, उसके लिए रोना जो है नहीं और उसे कोसना जिसने कुछ किया नहीं। इस रोने-धोने में खुशियां तो वैसे भी कोसों आगे निकल चुकी होती हैं। लेकिन, जब हम जीवन के सहज प्रवाहों को स्वीकार कर लेते हैं, तो उसी में किसी मोड़ पर अचानक से कोई खुशी टकरा जाती है।
जैसे- किसी पुराने दोस्त का अचानक से मिल जाना, बरसों पहले गुम कोई सामान हाथ लग जाना या किसी अजनबी की एक छोटी-सी मदद। बहुत ही जादुई होते हैं ये छोटे-छोटे पल और इन्हीं के बीच में कोई ऐसा करामाती पल भी छिपा होता है, जो आने वाले समय को हमेशा के लिए बदल देता है। हो सकता कि जब यह घट रहा हो, तब इसकी अहमियत पता न चले, लेकिन बाद में जरूर समझ आएगा कि हमने तब क्या पाया था।
सीधी-सीधी तो फिल्म भी अच्छी नहीं लगती
'द क्रॉनिकल्स ऑफ़ नार्निया' लिखने वाले ब्रिटिश लेखक का कहना था कि, हमें अप्रिय या अप्रत्याशित चीजों को वास्तविक जीवन में रुकावट मानना बंद कर देना चाहिए। सच तो यह है कि रुकावटें ही वास्तविक जीवन हैं। दरअसल ये जीवन में सरप्राइज फैक्टर ले आती हैं। सीधी-सीधी तो फिल्म भी अच्छी नहीं लगती, जब तक कि उसमें कुछ अप्रत्याशित घटित न हो जाए, फिर जीवन से सीधे की उम्मीद लगाना कहां तक सही है। तो विज्ञान हो, क्रिकेट या फिर नार्निया की जादुई दुनिया, आकस्मिकताओं का स्वागत करना सीखिए। ये अनिश्चितताएं ही हमें नई दिशा, नई खुशियां और नए अवसर देती हैं। कोई आकस्मिक खोज हो, अप्रत्याशित सफलता या फिर एक साधारण-सा हंसी का पल - बस इन सबका जश्न मनाइए...
साधारण चीजों का आनंद लेने के बजाय हमेशा अधिक चाहना, ले जाती है असंतोष की तरफ
हमारे पास पहले से मौजूद साधारण चीजों का आनंद लेने के बजाय हमेशा अधिक चाहना एक बहुत ही असंतोषजनक जीवन की ओर ले जा सकता है। लक्ष्य और सपने निश्चित रूप से फायदेमंद होते हैं, पर अधिक की अतृप्त इच्छा आपको असंतुष्ट और आक्रोशित कर सकती है। निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास आपको वर्तमान के आनंद से दूर कर देता है। आपके पास जो कुछ भी है, इस प्रकार की मानसिकता उससे ध्यान हटा देती है और सारा ध्यान कमी पर लगा देती है। जबकि छोटी-छोटी चीजों की सराहना करने की क्षमता आपके जीवन में बड़ी तरक्की ला सकती है।
अहंकार हमें सकारात्मकता से दूर कर देता
जिस तरह हर दिन की अपनी खुशियां होती हैं, उसी तरह हर दिन का अपना संघर्ष भी होता है। जब हमारे जीवन में छोटी-छोटी चीजों के लिए कृतज्ञता की कमी होती है, तो संघर्ष हमें और अधिक प्रभावित करते हैं। एक सकारात्मक और आभारी मानसिकता भीषण निराशा में भी हमें लचीला बनाए रखती है। जबकि अहंकार हमें सकारात्मकता से दूर कर देता है। यह हमें विश्वास दिलाता है कि हम दूसरों की तुलना में अधिक हैं और यह सिर्फ एक भ्रम है। इससे बचने के लिए अपने विचारों को हमेशा सकारात्मक रखें और खुद को धोखा न दें। हमें याद रखना चाहिए कि हम वही हैं जो हम करते हैं, और यह कि कोई भी बदलाव आसान नहीं है।
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