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The Haryana Story | करनाल की बेटी तनिक्षा खत्री ने सीनियर नेशनल तलवारबाजी में जीते 2 गोल्ड मेडल

करनाल की बेटी तनिक्षा खत्री ने सीनियर नेशनल तलवारबाजी में जीते 2 गोल्ड मेडल

वह भारतीय नौसेना के लिए सीपीओ के पद पर तैनात, पेरिस में चल रही है उनकी ट्रेनिंग

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा के युवा खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले कबड्डी कुश्ती जैसे खेलों के लिए हरियाणा को जाना जाता था लेकिन अब दूसरे खेलों में भी हरियाणा के खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीत रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। हाल ही में केरल में चल रही सीनियर नेशनल तलवारबाजी प्रतियोगिता में करनाल की बेटी तनिक्षा खत्री ने दो गोल्ड मेडल जीत कर प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है। खास बात यह है कि तनिक्षा तलवारबाजी में शुरुआती समय से काफी अच्छा खेल रही है जिसके चलते वह तलवारबाजी में अब तक 62 मेडल जीत चुकी हैं। जिनमें से 57 मेडल नेशनल और 5 मेडल इंटरनेशनल लेवल पर जीते हैं। जिसके चलते बाहर प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही है। 

तनिक्षा का सपना ओलंपिक में जाने का

आपको बता दे केरल में चल रही सीनियर नेशनल तलवारबाजी प्रतियोगिता में तनिक्षा खत्री दो-दो गोल्ड मेडल जीते हैं, यह गोल्ड मेडल एकल और टीम इवेंट में हासिल किए हैं। उन्होंने फाइनल मैच में पंजाब के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। अब तनिक्षा का सपना ओलंपिक में जाने का है। तनिक्षा के बेहतरीन खेल को देखते हुए उनका चयन इंडियन नेवी में भी हो गया है। वह भारतीय नौसेना के लिए सीपीओ के पद पर तैनात हैं उनकी ट्रेनिंग पेरिस में चल रही है। ताकि वह अपने गेम पर फोकस कर सकें और भारत के लिए ओलंपिक में भी मेडल जीत सकें। 

परिवार वालों ने मेरे भाई में और मुझ में कभी कोई फर्क नहीं किया

तनिक्षा ने बताया कि जब उन्होंने गेम की शुरुआत की थी तब लोगों ने भी बहुत कुछ कहा था लेकिन हमेशा उसके परिवार ने उसका साथ दिया है खासकर उनके पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे हैं जिन्होंने उनका खेलने के लिए प्रेरित किया है हमारे समाज में लड़का और लड़की में काफी भेदभाव किया जाता है चाहे वह कोई भी फील्ड हो लेकिन हमारे परिवार वालों ने मेरे भाई में और मुझ में कभी कोई फर्क नहीं किया जितना उसको सपोर्ट किया है उसे ही ज्यादा मुझको सपोर्ट किया है और उसी की बदौलत आज मैं मेडल लेकर आ रही हूं। 

आने वाले समय में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम और रोशन करेगी

तनिक्षा की माता नीलम और पिता सोनू ने कहा कि उनकी बेटी खेलों में काफी मेहनत करती है जिसकी बदौलत उनकी बेटी मेडल लेकर आ रही है। हमको अपनी बेटी पर काफी गर्व है और आने वाले समय में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम और रोशन करेगी। वह कड़ी मेहनत कर रही है। उनके पिता ने कहा कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को गेम में जरूर डालें अगर वह मेडल नहीं लेकर आते तो कम से कम बुरी आदतों से दूर रहेंगे और उनके फिजिकल फिटनेस भी अच्छी बनी रहेगी। उनकी माता ने कहा कि वह खेलों के साथ-साथ घर में भी काम में हाथ बंटाती है। जिसके चलते उनको अपनी बेटी पर काफी गर्व है और भविष्य में वह और अच्छा खेलेगी और देश का नाम रोशन करेगी उसके इस मैडल से परिवार में खुशी का माहौल है। 

भाईचारे ने उनको गेम खेलने से मना किया

उनके पिता ने बताया कि जब उनकी बेटी ने गेम शुरू किया था तो ग्रामीण क्षेत्र से होने के चलते आसपास के भाईचारे ने उनको गेम खेलने से मना किया और कहा बेटी का खेलों में जाना अच्छा नहीं है लेकिन पिता ने उनकी बात नहीं मानी और अपनी बेटी को खेलों में डाल जिसकी बदौलत वह अब उनके परिवार का नाम रोशन कर रही है। उन्होंने बताया कि वह खुद भी एक खिलाड़ी हुआ करते थे उस समय इतने संसाधन नहीं होते थे और उनको इंजरी हो गई थी जिसके चलते वह खेल नहीं पाए लेकिन वह खुद तो खिलाड़ी नहीं बन पाए उन्होंने ठाना की अपनी बेटी को खिलाड़ी बनना है अब वह अपनी बेटी में ही अपने सपने देख रहे हैं। 

शुरू से ही खेलों में काफी अच्छी रही

तनिक्षा दादी और दादा ने कहा कि वह शुरू से ही खेलों में काफी अच्छी रही है परिवार ने भी उनको खेलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया है जिसकी बदौलत आज वह मेडल लेकर आ रही है। उन्होंने कहा कि उनको अपनी बेटी पर काफी गर्व महसूस हो रहा है और उन्हें अपील की कि वह बेटा बेटी में भेदभाव ना करके उनको खेलों में डालें और उनको अच्छी शिक्षा दे ताकि वह एक अच्छे इंसान के साथ-साथ खेलों में कामयाब खिलाड़ी बन सके। 

तनिक्षा 2015 में जीता था पहला गोल्ड

उनके पिता ने बताया कि परीक्षा ने पहली बार 2015 में नेशनल गेम में इंडिविजुअल गेम में गोल्ड मेडल जीता था जबकि टीम गेम में उसने सिल्वर मेडल जीता था वह मेडल अंडर 14 प्रतियोगिता में उन्होंने जीता था। उन्होंने तलवारबाजी में अब तक 62 मेडल जीते हैं। जिनमें से 57 मेडल नेशनल और 5 मेडल इंटरनेशनल लेवल पर जीते है। अब उनका सपना एशियन गेम्स और ओलंपिक गेम में मेडल आना है।

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