
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कैथल में मनरेगा से संबंधित प्रकाशित खबरों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एबीपीओ, सीवन सहित 4 जूनियर इंजीनियरों को तुरंत प्रभाव से उनके वर्तमान कार्यभार से मुक्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, उच्चाधिकारियों को इस मामले की जांच कर अनिमियतताएं पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ अखबारों में जिला कैथल में मनरेगा से संबंधित खबरें प्रकाशित हुई, जिनमें भ्रष्टाचार का मामला उठाया गया है। इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए एबीपीओ, सीवन और सरस्वती हेरिटेज डिवीजन-3 के चार जूनियर इंजीनियर्स को तुरंत प्रभाव से उनके वर्तमान कार्यभार से मुक्त कर उन्हें अपने-अपने निदेशालय/मुख्यालय पर रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं।
एक्शन टेकन रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने को कहा
इसके अलावा, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को आदेश दिए गए हैं कि संबंधित मामले की जांच की जाए और कोई भी अनिमियतताएं पाई जाती हैं तो कानून/नियमानुसार उपयुक्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। मुख्यमंत्री ने विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव के माध्यम से इस मामले की एक्शन टेकन रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने को भी कहा है। सरस्वती हेरिटेज डिवीजन नंबर 3 के एक्सईएन दिग्विजय शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सभी को कैथल से रिलीव कर दिया गया है। उन्होंने बीडीपीओ को इस मामले में जांच के लिए लिखा था।
काम में खामियां पाई गई थी
जांच के बाद जेई सोनू, शैलेंद्र कुमार, शुभम धीमान व मनीष कुमार के काम में खामियां पाई गई थी। मजदूरों की हाजिरी लगाने में बरती लापरवाही में इनकी संलिप्ता पाई गई थी। इसके बाद उन्होंने नोटिस देकर इन सभी चार जेई को सोमवार तक जवाब देने के लिए कहा था। वे जवाब दे पाते उससे पहले ही मुख्यमंत्री ने सभी को कार्यभार मुक्त कर दिया है। सरकार से प्राप्त आदेश के बाद सभी का मुख्यालय चंडीगढ़ निर्धारित किया गया है। सरकार इस पूरे मामले की अपने स्तर पर भी जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने तक सभी जूनियर इंजीनियर हेड ऑफिस से अटैच रहेंगे।
एक नजर मामले पर
शिकायत के मुताबिक सीवन ब्लॉक के गांव ककराला अनायत में मनरेगा योजना के तहत विदेश में रह रहे 40 लोगों के फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए हैं इतना ही नहीं उनकी हाजिरी लगाकर मजदूरी के लाखों रुपए भी हड़प लिए गए हैं। इस मामले में गांव के ही अमरीक सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि गांव के करीब 22 लोग, जो जर्मनी, इटली, फ्रांस, मलेशिया और पुर्तगाल सहित अन्य देशों में रहते हैं, बावजूद इसके इन लोगों के नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए हैं।
रुपए मेट व अधिकारियों के बीच बांट लिए जाते थे
इन्हें मनरेगा मजदूर दिखाकर उनके खातों में रुपए भेजे गए। उनके खातों में भेजी गई लाखों रुपए की रकम में से इन मजदूरों को माते द्वारा मामूली सी हजार 2 हजार रुपए की रकम ही दी जाती थी। बाकी रुपए मेट व अधिकारियों के बीच बांट लिए जाते थे। उनके गांव में वास्तव में काम करने वाले मजदूरों की संख्या लगभग 40 है। लेकिन 328 लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इसी मामले की जांच करते हुए मेट व जेई विरुद्ध एक्शन लिया गया था।
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