
जींद के नरवाना कालवन गांव में स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल गाँव कालवन में मंगलवार को एशियाई जल पक्षी जनगणना 2025 पक्षी पहचान एवं जलीय पक्षियों की गणना और स्थल मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञों की टीम द्वारा दौरा किया गया। इस दौरान डॉक्टर टी के. रॉय, पक्षी वैज्ञानिक, सदस्य अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ नई दिल्ली की अध्यक्षता में यह दौरा किया गया। इस दौरान हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड, टीम वन विभाग जींद व वाइल्ड लाइफ विभाग ने मिलकर प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल कालवन का दौरा किया और जानकारी जुटाई।टीम के कालवन पहुंचने पर सरपंच प्रतिनिधि बहादुर सिंह व समस्त ग्रामीणों ने स्वागत किया।
संरक्षण स्थल पर पहली बार यह पक्षियों की गणना व मूल्यांकन किया जा रहा
इस दौरान डॉक्टर टी के. रॉय ने बताया कि यह अंतरजातीय गणना है जो पूरे एशिया के 27 देशों में हर साल जनवरी माह में की जाती है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा इस गणना में यह देखा व मूल्यांकन किया जाता है जहां-जहां पर भी प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल है या ज्यादा संख्या में पक्षी आते है वहां पर कौन सी प्रजाति के पक्षी आ रहे है विदेशी है या फिर भारतीय है, या कोई ऐसी प्रजाति के पक्षी यहां आ रहे है। जो लुप्त होने की कगार पर है। डॉ रॉय ने बताया कि गांव कालवन के इस महर्षि दयानंद सरस्वती प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल पर पहली बार यह पक्षियों की गणना व मूल्यांकन किया जा रहा है।
गांव के लोग भी इसे बचाने में अपना सहयोग कर रहे
उन्होंने बताया कि कालवन गांव के लोग भी इसे बचाने में अपना सहयोग कर रहे है और चाह रहे है कि इस जगह को बचाया जाए और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में भी जगह दी जाए। रॉय ने कहा कि गांव कालवन के प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल पर कुल 34 प्रजातियों के पक्षियों की गणना की गई है जिसकी अगर संख्या की बात करे तो 1806 है। उन्होंने बताया कि इन 34 प्रजातियों में से 21 प्रजातियां विदेशी है और 13 प्रजातियां भारतीय पक्षियों की है।
प्रवासी पक्षी विलुप्त होने की कगार पर
रॉय ने बताया कि चिंता करने वाली बात यह है कि इन 34 में से 4 पक्षियों की प्रजातियां ऐसी है जो लुप्त होने की कगार पर जिनमें शामिल है। उन्होंने कहा कि कालवन के लिए बड़े गर्व की बात है कि जो प्रवासी पक्षी विलुप्त होने की कगार पर है कमोन पोचार्ड व ब्लैकमेल गोडविच यह दोनों विदेशी पक्षी कालवन में मिले है। डॉ रॉय ने कहा कि इन प्रजातियों के ऐसे लुप्त होने के कारण जलवायु परिवर्तन है इसके लिए लोगों को भी समझने की जरूरत है क्योंकि पहले खुली जगह में पेड़-पौधे होते थे अब पेड कटते जा रहे है। जनसंख्या बढ़ने के कारण हम पेड़ों को काट रहे हैं जल भूमि भी खत्म हो रहा है जिसका बुरा प्रभाव जलवायु पर पड़ रहा है ओर ऐसे में यह प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां लुप्त होती जा रही है।
सरकार इस और कदम बढ़ाए पूरा गांव इस क्षेत्र को पक्षियों के संरक्षण के लिए देने के लिए तैयार
इस मौके पर इस मौके पर हरियाणा जैव- विविधता बोर्ड की टीम, मनवीर खटकड़ वाइल्ड लाइफ इंस्पेक्टर जींद, अश्विनी चोपड़ा नरवाना वन विभाग से रेंज ऑफिसर, सचिन गार्ड, सुरेन्द्र वन दरोगा, सरपंच प्रतिनिधि बहादुर सिंह नैन, व्यक्ति मौजूद रहे।वही टीम के गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों में उत्साह का माहौल देखा गया। ग्रामीणों को कहना था कि सरकार इस और कदम बढ़ाए पूरा गांव इस क्षेत्र को पक्षियों के संरक्षण के लिए देने के लिए तैयार है ताकि इसे पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जा सके। टी.के.राय, पक्षी वैज्ञानिक, सदस्य अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ नई दिल्ली ने कहा कि गांव कालवन के लोगों द्वारा इस प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल को बचाने की लगन को देखते हुए हायर अर्थोटी हरियाणा से बात करूंगा और कालवन स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल को विश्व धरोहर के रूप में स्थापित करने की बात रखूगां।
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