
भारत में विभिन्न प्रकार की फल सब्जियां पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होती है।वही एक ऐसी सब्जी जो न केवल शरीर को प्रोटीन प्रदान करती है। कैंसर जैसी भयानक बीमारी का इलाज भी कर सकती है। शिटाके मशरूम एक ऐसी वैरायटी जिसको खाने से कैंसर जैसी बीमारी को भी मात दी जाती है। जापान जैसे देश इसका इंजेक्शन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है।
कम समय की और कम लागत की खेती
भारत में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए बागवानी विभाग के द्वारा किसानों को बागवानी करने की सलाह दी जाती है, ताकि वह कम पैसे लगाकर अच्छा मुनाफा ले सके। बागवानी में ही मशरूम की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि यह कम समय की और कम लागत की खेती होती है, जबकि इस पर मुनाफा काफी ज्यादा होता है।
इसी के चलते हरियाणा बागवानी विभाग के द्वारा महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल के अंतर्गत सोनीपत जिले के मुरथल में मशरूम रिसर्च सेंटर बनाया गया है, जहां मशरूम की नई-नई वैरायटी पर रिसर्च की जाती है और साथ ही इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है। करनाल में तीन दिवसीय किसान एग्रो मेला आयोजित किया गया था। जहां पर मुरथल मशरूम रिसर्च सेंटर मशरूम की कई वैरायटी लेकर पहुंचा था। उनकी प्रदर्शनी लगाई थी और इसके महत्व के बारे में मेले में आने वाले लोगों को अवगत कराया।
एनडीआरआई मेले में पहुंची मशरूम की कई वैरायटी,लो गों को दी जा रही जानकारी
अजीत मलिक जेई मशरूम रिसर्च सेंटर मुरथल ने बताया कि राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल किसान मेला आयोजित किया गया था जिस में वह भी अपने मशरूम रिसर्च सेंटर में तैयार की गई मशरूम की वैरायटी को लेकर पहुंचे थे। यहां पर आने का उनका मकसद यही था कि मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा सके , ताकि लोगों जानकारी लेकर इस खेती को करें । यह बहुत ही कम जगह पर बड़ी खेती की जाती है और कम समय में किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है । इसके साथ-साथ मशरूम की खासियत के बारे में भी यहां बताया जाता है कि किस प्रकार से वह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
शिटाके मशरूम कैंसर जैसी बीमारी के लिए रामबाण
अजीत मलिक ने बताया कि मुरथल मशरूम रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक लगातार मशरूम की नई-नई वैरायटी पर काम कर रहे हैं और साथ ही उनसे खाने से शरीर को क्या फायदा होता है इसके ऊपर भी रिसर्च की जाती है। उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसी कई वैरायटी है जो इंसान के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। उन्होंने बताया कि आजकल कैंसर की बीमारी काफी बढ़ती जा रही है और कैंसर जैसी बीमारी से निपटने के लिए शिटाके मशरूम वैरायटी काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है। इसमें कैंसर रोधी तत्व पाए जाते हैं।
जो कैंसर को आगे बढ़ने नहीं देती और उसको काबू में रखती है। उन्होंने बताया कि जो कैंसर के सेल होते हैं यह उनको कम करती है और यह वर्ल्ड की नंबर वन मशरूम है। हालांकि अभी इसका भारत में उत्पादन कम है लेकिन अगर इसकी कीमत की बात करें ताजी मशरूम 500 से ₹600 प्रति किलो बेची जाती है। जबकि ड्राई फॉर्म में यह ₹3000 किलो के हिसाब से बेची जाती है। जापान जैसे देश इसका इंजेक्शन के तौर पर भी प्रयोग करते हैं यह कैंसर के सेल्स को कम करने में काफी कारगर सिद्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि यह उनकी काफी प्रमुख वैरायटी है। इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर पर कंट्रोल रखती है। इसलिए यह काफी फायदेमंद है।
मधुमेह में भी मशरूम करती है काम
उन्होंने बताया कि आजकल डायबिटीज के रोगी भी बढ़ते जा रहे हैं। उसके लिए गैनोडर्मा मशरूम वैरायटी काफी लाभकारी है। जो डायबिटीज पर कंट्रोल रखती है या समय रहते अगर इसका सेवन किया जाए तो यह डायबिटीज होने से रोकती है। क्योंकि इसमें डायबिटीज रोधी तत्व पाए जाते हैं। उन्होंने ने बताया कि इंसान वृद्धा अवस्था में चला जाता है तो उस समय उसके हाथ और पर हिलने की बीमारी अक्सर ज्यादातर बुजुर्गों में देखने को मिलती है। इस बीमारी पर कंट्रोल करने के लिए ऑरीकुलारिया मशरूम वैरायटी होती है। अगर किसी भी बुजुर्ग को इस प्रकार की बीमारी है तो वह मशरूम की ऑरिकुलेरिया वैरायटी का खाने में सेवन करें। इससे इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
विटामिन और मिनरल से भरपूर होती है मशरूम
उन्होंने बताया कि मशरूम की जितनी भी वैरायटी होती है सबकी अपनी अलग-अलग विशेषता होती है और सब में अलग-अलग प्रकार के विटामिन और खनिज लवण पाए जाते हैं। मटन मशरूम से विटामिन डी की कमी दूर होती है वहीं दूसरी भी ऐसी कई वैरायटी है जिससे खाने में शरीर में अन्य कई प्रकार विटामिन मिलते हैं। क्योंकि मशरूम की सभी वैरायटी विटामिन और खनिज पदार्थ से भरपूर होती है । जो स्वास्थ्य के लिए का भी अच्छी होती है। दिल की बीमारियों के लिए भी मशरूम का सेवन काफी अच्छा माना जाता है।
रिसर्च सेंटर ड्राई और कैप्सूल फोरम में भी दे रहा मशरूम
उन्होंने बताया कि मशरूम को सर्दियों के समय में लगाया जाता है जिसके चलते मशरूम साल के करीब चार पांच महीने ही खाने को मिलती है लेकिन संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा ऐसा काम किया गया है कि इंसान 12 के 12 महीने मशरूम का सेवन कर सकता है। उन्होंने बताया कि मशरूम को तोड़कर सुख लिया जाता है और उसकी पैकिंग की जाती है, जिससे वह उसको पीसकर दूध या पानी के साथ ले सकते हैं या फिर अपनी खाने में डालकर उसको खा सकते हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने मशरूम की अलग-अलग वैरायटी के सुखाकर उनको पीसकर कैप्सूल तैयार किए हैं जो रिसर्च सेंटर के द्वारा बेचे जाते है। ऐसे में अब लोगों को साल के 12 महीने मशरूम खाने को मिलती है। कैप्सूल विशेष तौर पर उन वैरायटी के तैयार किए जाते हैं जिसमें बीमारी के रोधी तत्व पाए जाते हैं।
किसानों को दी जा रही ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग के द्वारा विशेष तौर पर किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ-साथ जो उत्पाद उन्होंने तैयार किए हैं यह सब बनाने के लिए भी विभाग और इंस्टीट्यूट के द्वारा किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वह भी इसको अपना कर अपनी आमदनी बढ़ा सके।
कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में मशरूम है सहायक, वैज्ञानिक कर चुके रिसर्च
उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती लगातार बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि मशरूम रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक इस पर पिछले करीब 25 वर्षों से रिसर्च करके मशरूम की खेती को फायदेमंद बना रहे हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि यह किस प्रकार से कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक है?
तब उन्होंने बताया कि मशरूम रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक इस पर लंबे समय से सर्च करते आ रहे हैं और उनके रिसर्च में ही यह सामने आया है कि मशरूम की अलग-अलग वैरायटी कैंसर मधुमेह जैसी बीमारी से लड़ने में सहायक होती है। इतना ही नहीं इसकी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा रिसर्च के ऊपर किताबें भी लिखी गई है ताकि आने वाले रिसर्चर को इसमें सहायता मिल सके और वह भविष्य में मशरूम पर अच्छा काम कर सके।
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