loader
The Haryana Story | चैत्र अमावस्या पर लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, ये ख़ास उपाय करने से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति और आशीर्वाद

चैत्र अमावस्या पर लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, ये ख़ास उपाय करने से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति और आशीर्वाद

इस शनि अमावस्या पर पितृ दोष से निजात पाने और पितरों की कृपा पाने के लिए उपाय करना लाभ देगा, साथ ही सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभावों से भी बचाएगा। 

प्रतीकात्मक तस्वीर

29 मार्च 2025, शनिवार को चैत्र अमावस्या है। शनिवार को अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाएगा। इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। ऐसे में यह अमावस्या विशेष है। अमावस्या तिथि को स्नान, ध्यान, दान, पितरों का तर्पण, पिंडदान आदि कार्य किए जाते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है। यदि कुंडली में पितृ दोष है तो उससे मुक्ति पाने के लिए अमावस्या का दिन विशेष होता है। इस शनि अमावस्या पर पितृ दोष से निजात पाने और पितरों की कृपा पाने के लिए उपाय करना लाभ देगा। साथ ही सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभावों से भी बचाएगा। 

इस ग्रहण 🌞 का सूतक काल मान्य नहीं होगा

बता दें कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के अंतिम चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 29 मार्च है। वहीं इस बार चैत्र अमावस्या पर साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा, लेकिन यह अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है और यही इस तिथि के स्वामी भी हैं, इसलिए ग्रहण की वजह से कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं रुकेंगे। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद भी देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का महत्व बताते हुए कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं। 

पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या 🌚 तिथि को सबसे उत्तम माना गया

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अमावस्या तिथि को स्नान, ध्यान, पितरों का तर्पण, पिंडदान आदि कार्य किए जाते हैं। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या तिथि को सबसे उत्तम माना गया है और इस दिन करने के लिए कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं। आइए जानते हैं चैत्र अमावस्या पर किए जाने वाले पितृ दोष से मुक्ति के उपाय...

गाय 🐄 को हरा चारा 🌿 खिलाएं 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चैत्र अमावस्या के दिन गोबर का कंडा जलाएं और उस पर गुड़, घी और दूध की खीर अर्पित करते पितरों का ध्यान करें। इसके साथ ही हर दिन सुबह-शाम कपूर से घर के मंदिर में पूजा जरूर करें। पूर को कभी घी में डूबोकर जलाएं तो कभी गुड़ के साथ मिलाकर जलाएं। पूजा करने के बाद कौवे और कुत्ते को रोटी दें और गाय को हरा चारा खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और पितृ दोष खत्म हो जाता है। 

11 दिन तक गौ माता 🐄 को आटे की लोइयां खिलाएं

चैत्र अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल और दूध अर्पित करके अक्षत, फल, फूल और काले तिल अवश्य चढ़ाएं। इसके  बाद घी का दीपक जलाएं और हाथ  जोड़कर 11 परिक्रमा भी करें। साथ ही नियमित रूप से 11 दिन तक गौ माता को आटे की लोइयां खिलाएं और उनकी सेवा व पूजा करें। ऐसा करने से पितृ दोष से राहत मिलती  है और पितरों के आशीर्वाद से परिवार में  सुख-शांति बनी रहती है।   

गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन 🍱 करवाएं

मान्यता है कि चैत्र अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान और ध्यान करें, साथ ही पितरों के नाम का तर्पण भी करें एवं पितरों के नाम का गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाएं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी दें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद पितृ दोष भी खत्म हो जाता है। 

हर अमावस्या तिथि पर पितरों के नाम का दान 💸भी करें 

चैत्र अमावस्या में ध्यान रखें कि कोई भी शुभ काम करने से पहले पितरों का ध्यान अवश्य किया करें। इस दिन एक साफ बर्तन लें और उसमें जल, काले तिल और कुशा मिलाकर पितरों का ध्यान करते हुए अर्पित कर दें। इसके बाद पितरों का ध्यान करें और हर अमावस्या तिथि पर पितरों के नाम का दान भी करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से राहत मिलती है। 

परिवार 👨‍👨‍👧‍👦 के सदस्य एक-एक 💰 सिक्का मंदिर में दान करें  

चैत्र अमावस्या को परिवार के सभी सदस्यों से 1-1 सिक्का लें और उनको किसी मंदिर में जाकर दान कर दें। आप ऐसा हर गुरुवार को करते रहें। जैसे अगर आपके पास 5 रुपए का सिक्का है तो घर के सभी सदस्यों से 5-5 रुपए के सिक्के लें और मंदिर में दान कर दें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और नौकरी व  कारोबार में अच्छी उन्नति होती है।

(नोट : The Haryana Story के इस पेज पर दी गई ये जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं।)

Join The Conversation Opens in a new tab
×