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The Haryana Story | भारत के लिए गर्व का क्षण : नाट्यशास्त्र और श्री भगवद् गीता ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में शामिल

भारत के लिए गर्व का क्षण : नाट्यशास्त्र और श्री भगवद् गीता ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में शामिल

भारत की दार्शनिक व सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर बड़ी मिली पहचान

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत देश के लिए ये बेहद गर्व का क्षण है कि भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र और श्री भगवद् गीता को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में शामिल किया गया है। यूनेस्को ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई है। विज्ञप्ति के अनुसार यूनेस्को ने ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर (विश्व स्मृति रजिस्टर) में 17 अप्रैल को कुल 74 नई एंट्री कीं। इसके बाद रजिस्टर में अभिलेखित संग्रहों की कुल संख्या 570 हो गई है। भारत की अंतरराष्ट्रीय सूची में अब 14 अमूल्य प्रविष्टियां हो गई हैं। 

दुनिया को भी आत्मा तथा सौंदर्य की नई दृष्टि दी

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि इससे भारत की दार्शनिक व सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर बड़ी पहचान मिली है। उन्होंने लिखा कि श्री भगवद् गीता व नाट्यशास्त्र न सिर्फ ग्रंथ हैं, बल्कि यह जीवन दृष्टि, भारत की सोच व कलात्मक अभिव्यक्तियों के मूल स्तंभ भी हैं। इन ग्रंथों ने भारत को दिशा देने के साथ ही दुनिया को भी आत्मा तथा सौंदर्य की नई दृष्टि दी है।

ऋग्वेद को 2007 में ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में जगह मिली थी

बता दें कि इससे पहले भारत की ओर से तवांग धर्मग्रंथ, दुनिया का सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद, संत तुकाराम की अभंग रचनाओं से जुड़ी फाइलें भी इस अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल हो चुकी हैं। ऋग्वेद को 2007 में ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में जगह मिली थी। यूनेस्को ने ऋग्वेद को मान्यता देते हुए तब कहा था कि यह न केवल धार्मिक अथवा आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह मानव सभ्यता की शुरूआती सोच, दर्शन, भाषा व सांस्कृतिक संरचना का अमूल्य दस्तावेज भी है।

पीएम मोदी ने जताई खुशी : हर भारतीय के लिए गर्व का पल 

पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर खुशी जताई है। उन्होंने लिखा कि यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में गीता व नाट्यशास्त्र को जगह दिया जाना पूरे विश्व में फैले प्रत्येक भारतीय के लिए यह गर्व का पल है। यह हमारी समृद्ध संस्कृति और शाश्वत बुद्धिमत्ता की वैश्विक मान्यता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है और उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को हमेशा प्रेरित करती रहती है।

साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं रचनाएं श्री भगवद् गीता एक प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ और आध्यात्मिक मार्गदर्शक है। नाट्यशास्त्र प्रदर्शन कलाओं पर एक प्राचीन ग्रंथ है। ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं। वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है।

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