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The Haryana Story | 20 साल बाद मिला न्याय : इस बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलेगी सेवारत कर्मचारियों के बराबर चिकित्सा सुविधा

20 साल बाद मिला न्याय : इस बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलेगी सेवारत कर्मचारियों के बराबर चिकित्सा सुविधा

इस फैसले को लागू करवाने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी एसोसिएशन पिछले बीस साल से विभाग व कोर्ट के चक्कर लगा रही थी

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा राज्य प्राथमिक कृषि एवं ग्रामीण भूमि विकास बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवारत कर्मचारियों के बराबर चिकित्सा सुविधा देने का फैसला लिया है। इस फैसले को लागू करवाने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी एसोसिएशन पिछले बीस साल से विभाग व कोर्ट के चक्कर लगा रही थी और हाईकोर्ट द्वारा विभाग पर तीन बार अवमानना का जुमार्ना लगाने के बाद न्याय मिल पाया। इससे राज्यभर के पांच हजार सेवानिवृत्त कर्मियों को लाभ मिलेगा।

कर्मचारी यूनियन की मांग पर हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक पंचकूला निदेशक मण्डल ने दिनांक 23 फरवरी 2005 को प्रस्ताव संख्या 11 पास करके बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवारत कर्मचारियों के बराबर चिकित्सा चिकित्सा सुविधा देने के लिए 13 मई 2005 को रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, हरियाणा, पंचकूला की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए भेजा था।

बैंक व सेवानिवृत कर्मचारियों प्रस्ताव की रजिस्ट्रार सहकारी समितियों से अनुमति प्राप्त करने के लिए 13 वर्षों तक पत्राचार करते रहने बावजूद भी रजिस्ट्रार ने हमारे प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं किया था। आखिरकार कर्मियों ने परेशान होकर वर्ष सूमेर श्योराण बेरला, कमेटी अध्यक्ष। 2018 में से सेवानिवृत कर्मचारी एसोसिएशन पंजीकरण संख्या 2623 का गठन किया व एसोसिएशन ने माननीय पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में बैंक व रजिस्ट्रार याचिका डालने के लिए एसोसिएशन के प्रधान सुमेरसिंह व सचिव प्रहलाद सिहं को जिम्मेवारी सौंपी। 

एसोसिएशन के निर्णय अनुसार उच्च न्यायालय में याचिका संख्या 21457-2021 डाली गई। एसोसिएशन द्वारा याचिका दायर करने के एक वर्ष राजेश जोगपाल आईएएस रजिस्ट्रार सहकारी समितियां द्वारा उपरोक्त प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करने की बजाए बैंक के आर्थिक हालात खराब बताकर दिनांक 21 को उपरोक्त प्रस्ताव को रद्द कर दिया। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों द्वारा पारित आदेश दिनांक 28 मई 2024 के खिलाफ सेवानिवृत कर्मचारी एसोशियन में दोबारा से एक रिवीजन पीटीशन संख्या 50-2024 अतिरिक्त मुख्य सचिव की अदालत में दायर कर दी।

दिसंबर 2022 को रद्द दिया सेवानिवृत कर्मचारी एसोसिएशन ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सहकारिता विभाग में दायर याचिका में हरियाणा को आपरेटिव सोसाईटिज एक्ट की धारा 115 के तहत रिवीजन पिटीशन दायर करने के लिए माननीय पंजाब एवम हरियाणा उच्च न्यायालय चण्डीगढ़ में दायर याचिका को दिनांक 10 अगस्त 2023 को वापिस ले लिया। सेवानिवृत कर्मचारी एसोसियशन ने रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां के द्वारा दिनांक 21 12-2022 को कर्मियों के खिलाफ दिए गए निर्णय के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव सहकारिता विभाग की कोर्ट में एक रिवीजन पीटीशन संख्याा 61-2023 दायर कर दी।

रजिस्ट्रार सहकारी समितियों द्वारा 21-12-2022 को हमारे खिलाफ दिए गए फैसले को अतिरिक्त मुख्य सचिव सहकारिता विभाग हरियाणा ने दिनांक 06 अक्टूबर 2023 को आदेश पारित कर रद्द कर दिया और रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को यह निर्देश दिए कि आप दो महिने के अन्दर अंदर उपरोक्त प्रस्ताव संख्या 11 पर दोबारा से सभी तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करके स्पीकिंग आर्डर पास करें। लेकिन 8 माह बाद रजिस्ट्रार सहकारी समितियां ने दोबारा से बैंक की आर्थिक हालात खराब बताकर रद्द कर दिया।

पूर्व कर्मचारी एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार बिजारणियां की अतिरिक्त मुख्य सचिव सहकारिता ने 5 जनवरी 2025 को बहस सुनने व रिकार्ड का ध्यानपूर्वक अवलोकन पश्चात रजिस्ट्रार सहकारी के आदेश दिनाक 28 मई 2024 को रद्द कर दिया व बैंक और रजिस्ट्रार सहकारीता को निर्देश जारी कर दिए कोर्ट के आदेशों की अनुपालना करके एक महीने के अंदर अंदर बैंक और रजिस्ट्रार सहकारीता द्वारा पारित फुल प्रस्ताव दिनाक 23 फरवरी 2005 को अपनी स्वीकृति के प्रदान करना सुनिश्चित करें। एसोसिएशन व बैंक के प्रबंधक निदेशक के दिनांक 14 अक्टूबर 2024 के बावजूद रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों ने दो माह बीत जाने बाद भी प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं किया।

बैंक की कार्यप्रणाली से परेशान होकर सेवानिवृत्त कर्मचारी एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय में संख्या 4897-2024 रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश के तहत रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को दो सप्ताह के अन्दर बैंक के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृती प्रदान करे अन्यथा उनके खिलाफ 50000 रुपए जुमार्ना लगा दिया जाएगा। लेकिन कोई कदम न उठाने पर व कोर्ट के आदेशों की अनुपालना न होने पर माननीय उच्च न्यायालय के राजेश जोगपाल, रजिस्ट्रार सहकारी समितियों को 10000 रुपये शचिका एसोसिएशन को अपनी जेब से देने का आदेश दिया। 

इस बीच बैंक के एक अतिरिक्त मुख्य सचिव, सहकारिता के आदेश दिन 5 सितंबर 2024 के खिलाफ एक याचिका संख्या 4862/2025 दायर की जिनको माननीय उच्च न्यायालय ने 10000 रुपये लागत सहित खारिज कर दिया व अगली तारीख 23 फरवरी 2025 निर्धारित की। दिनांक 23 फरवरी 2025 को एसोसिएशन के अधिवक्ता ने माननीय अदालत को बताया कि बैंक की याचिका 4812 भी माननीय न्यायालय ने 10000 राशि जुमार्ना सहित खारिज कर दिया। विभाग का रजिस्ट्रार कार्यालय सहकारी समितियां जानबूझ मामले को लंबा खींच कर हजारों बुजर्ग कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं। माननीय न्यायलय ने तीसरे बार 10000 रुपये और जुमार्ना लगा दिया तथा अगली तारीख 2 अप्रैल 2025 तय कर दी।

आखिरकार दिनांक 2 अप्रैल 2025 को रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों ने 2 अप्रैल 2025 को प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया व आदेश दिनाक 05/09/2024 भी अनुपालना करके माननीय अदालत में अनुमोदन आदेश की कापी जमा करवा दी जिससे पिछले बीस साल से संघर्ष कर्मियों को लाभ मिला। माननीय न्यायलय के आदेश पर सहकारी समितियां ने बैंक से जुड़े सभी कर्मियों को सभी लाभ देने का फैसला लागू किया, जिस पर कमेटी अध्यक्ष सूमेर श्योराण बेरला, सचिव प्रहलाद सिंह, बनीसिंह, महेन्द्र सिंह, अतरसिंह, रामफल मलिक तोशाम, तेजपाल, ओमप्रकाश शर्मा, पूर्णचंद, गजेसिंह, लक्ष्मण सिंह चौहान, मांगेराम इत्यादि सभी पदाधिकारियों ने प्रदेश भर के सभी सहयोगी कर्मियों को मांग सिरे चढने पर बधाई देते हुए उनका आभार प्रकट करते इस फैसलें से राज्यभर के पांच हजार सेवानिवृत कर्मियों को लाभ मिलने का दावा किया है। 

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