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The Haryana Story | ग्लोबल वार्मिंग का असर : हिमालय पर नहीं हो रही पर्याप्त बर्फबारी, करोड़ों लोगों के सामने खड़ा हो सकता है पानी का संकट

ग्लोबल वार्मिंग का असर : हिमालय पर नहीं हो रही पर्याप्त बर्फबारी, करोड़ों लोगों के सामने खड़ा हो सकता है पानी का संकट

गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र व सिंधु आदि नदियों के पानी का मुख्य स्रोत ग्लेशियर हैं, स्वाभाविक है कि अगर बर्फबारी कम होगी तो इन नदियों के जलस्तर में भी कमी आएगी

प्रतीकात्मक तस्वीर

हिमालय पर मौसमी बर्फ जमे रहने के समय में भी 23.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जोकि 23 साल में सबसे कम है। वहीं इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) संस्था द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालय पर पर्याप्त बर्फबारी नहीं हो रही प् रही है, जिससे आने वाले समय में करोड़ों लोगों के सामने पानी का संकट खड़ा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह लगातार तीसरा साल है, जब हिंदुकुश हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में सामान्य से कम बर्फबारी दर्ज़ की गई है।

भारत के 65 फीसदी हिस्से पर प्रभाव पड़ेगा

उल्लेखनीय है कि हिमालय पर्वतमाला के ग्लेशियर लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए ताजे पानी का महत्वपूर्ण ज़रिया हैं। ऐसे में इन पर्वतमालाओं पर हिमपात की कमी खतरनाक साबित हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक़ हिंदुकुश हिमालय रेंज से निकलने वाली 12 नदियों के समीप रहने वाले लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए आने वाले समय में पानी का संकट पैदा हो सकता है। 

हिंदुकुश हिमालय पर्वतमाला अफगानिस्तान से म्यांमार तक 8 देशों में फैली

वहीं इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि बर्फबारी में कमी का भारत के 65 फीसदी हिस्से पर प्रभाव पड़ेगा और यह भाग गंगा व यमुना जैसी बड़ी नदियों से कनेक्ट है। विशेषज्ञों के अनुसार, हिंदुकुश हिमालय पर्वतमाला अफगानिस्तान से म्यांमार तक 8 देशों में फैली है। इन 8 देशों में भारत व पाकिस्तान के अलावा चीन, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान शामिल हैं। एशिया में हिंदुकुश हिमालय पर्वतमाला का फैलाव 3,500 किलोमीटर तक है।

गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र व सिंधु आदि नदियों के पानी का मुख्य स्रोत ग्लेशियर

वहीं इस विषय में पर्यावरणविदों- विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र व सिंधु आदि नदियों के पानी का मुख्य स्रोत ग्लेशियर हैं। स्वाभाविक है कि अगर बर्फबारी कम होगी तो इन नदियों के जलस्तर में भी कमी आएगी। जबकि पीने के अलावा खेती एवं उद्योगों में भी इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार पूरी सर्दी की मौसम में औसत से कम बर्फबारी दर्ज़ की गई है। हालांकि हिंदुकुश हिमालय के कई देश तो पहले ही सूखे की चेतावनी जारी कर चुके हैं। 

मई के पहले हफ्ते में कहीं तेज गर्मी तो कहीं बारिश की संभावना

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश के बड़े हिस्से में मई के पहले सप्ताह में तीव्र गर्मी के मौसम की स्थिति जारी रहने का अनुमान है। इस दौरान पूर्वी, मध्य और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में भारी बारिश, गरज, बिजली, ओलावृष्टि व तेज हवाएं चलने की संभावना है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 4 मई तक गरज के साथ बारिश, बिजली चमकने और धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। इस दौरान 40-60 किलोमीटर प्रति घंटा की रμतार से हवाएं चल सकती हैं।

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