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The Haryana Story | 'पानी' पर सियासी 'उबाल'..पंजाब की 'ज़िद्द' का हरियाणा पर दिखने लगा असर, सात जिलों में 'गहराया जल सकंट'

'पानी' पर सियासी 'उबाल'..पंजाब की 'ज़िद्द' का हरियाणा पर दिखने लगा असर, सात जिलों में 'गहराया जल सकंट'

भाखड़ा के पानी को लेकर राजनीतिक जंग तेज, उधर पानी को तरसे हरियाणा के आधा दर्जन जिले

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा और पड़ोसी राज्य पंजाब के बीच भाखड़ा नहर में पानी के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद राजनीतिक जंग का कारण बन गया है। इससे पहले सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर दोनों राज्यों के बीच समय-समय पर राजनीतिक घमासान होता रहा है, लेकिन इस समय भाखड़ा के पानी को लेकर राजनीतिक जंग तेज हो गई है। ऐसे में पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग गुटों के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिल रही है और दोनों तरफ से वार-पलटवार का सिलसिला भी तेज हो गया है। पंजाब ने हरियाणा भाखड़ा नहर के पानी का हिस्सा 9 हजार क्यूसेक से घटाकर करीब 4 हजार क्यूसेक कर दिया है।

पानी की टंकियों के दामों में कई गुना बढ़ोतरी

इस मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखने के अलावा फोन पर बातचीत भी की। आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में जल संकट गौरतलब है कि हरियाणा के कई जिलों में पेयजल की भारी किल्लत है। भाखड़ा मुख्य नहर में जलस्तर कम होने से प्रदेश के कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, फतेहाबाद, अंबाला, हिसार और सिरसा में जल संकट गहराने लगा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फतेहाबाद, हिसार और सिरसा जिलों के कई गांवों को टैंकरों के जरिए पानी मिल रहा है। जल माफिया द्वारा पानी की टंकियों के दामों में कई गुना बढ़ोतरी से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। 

सात जिलों की करीब 14.25 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहर के माध्यम से होती

 गौरतलब है कि भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड के अंडर भाखड़ा नांगल जल परियोजना से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान को पानी की आपूर्ति की जाती है। भाखड़ा मुख्य नहर नांगल बांध की गोबिंद सागर झील से पानी लाती है। यह नहर पंजाब के रोपड़, पटियाला और खन्नौरी से होते हुए हरियाणा में प्रवेश करती है। करीब 168 किलोमीटर लंबी इस मुख्य नहर के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है। इस बांध की आधारशिला 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी और यह बांध 1963 में बनकर तैयार हुआ था। हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, हिसार और सिरसा की करीब 14.25 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहर के माध्यम से होती है।

पंजाब जानबूझकर राजनीति कर रहा

हरियाणा में इसकी मुख्य नहरों में भाखड़ा मुख्य शाखा, फतेहाबाद शाखा, नरवाना अंच, सिरसा शाखा, बालसमंद शाखा, बरवाला शाखा और बीएमएल बरवाला लिंक नहरें शामिल हैं। करीब 35 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से करीब 23 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहर के पानी से होती है। 14.62 हजार किलोमीटर लंबी 1500 नहरों के जरिए सिंचाई की जाती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों ने भी भगवान सिंह मान को घेरा हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के हिस्से का पानी रोकने पर पंजाब सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पंजाब जानबूझकर राजनीति कर रहा है और हरियाणा के हक का पानी रोक रहा है, जो पूरी तरह से गलत और निंदनीय है।

आज तक पीने के पानी को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ, पंजाब दोनों के बीच मतभेद क्यों पैदा कर रहा है?

उन्होंने पंजाब सरकार से इस मुद्दे पर राजनीति करना बंद करने और हरियाणा के हिस्से का पूरा पानी जारी करने की अपील की। उन्होंने कहा, लोग हमें बुलाकर पीने का पानी देते हैं। आज तक पीने के पानी को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ। पंजाब हमारा बड़ा भाई है, पंजाब दोनों के बीच मतभेद क्यों पैदा कर रहा है? अगर पंजाब प्यासा रहा तो हम अपने हिस्से का पानी वहां के लोगों को देंगे।"

पंजाब सरकार इस पानी में कटौती कर रही है, जो सरासर गलत : पंवार

इस विवाद में हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि हरियाणा को पीने के लिए 9500 क्यूसेक पानी की जरूरत है, लेकिन पंजाब ने आपूर्ति कम कर दी है और सिर्फ 4000 क्यूसेक ही दे रहा है। उन्होंने इस फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि हाल ही में बीबीएमबी की बैठक में पानी देने का फैसला लिया गया था, लेकिन पंजाब सरकार इस पानी में कटौती कर रही है, जो सरासर गलत है।

बांध के बाहर सुरक्षा भेजने का कोई मतलब नहीं : हुड्डा

मामले पर सत्ता पक्ष को कांग्रेस का मिला साथ इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह सब समझ से परे है। जब बोर्ड का फैसला है तो पंजाब को इसे मानना ही होगा। बांध के बाहर सुरक्षा भेजने का कोई मतलब नहीं है। भगवंत मान राजनीति कर रहे हैं। इस तरह से पानी रोकने से दिल्ली पर असर पड़ेगा और दिल्ली में पानी का संकट भी गहराएगा।

संघीय ढांचे का मतलब है कि सभी राज्य प्राकृतिक संसाधनों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में अपना फैसला दे चुका है, इसलिए पंजाब को इसका पालन करना चाहिए और हरियाणा को एसवाईएल का पानी देना चाहिए। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की गत बैठक में हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी देने पर हुआ था फैसला लेकिन पंजाब ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

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