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हरियाणवी साहित्य और लोक कला की दुनिया में पंडित लख्मीचंद एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। हरियाणा के "सूर्य-कवि" और "हरियाणा के शेक्सपियर" के रूप में जाने जाने वाले पंडित लख्मीचंद ने उत्तर भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत पर एक अमिट छाप छोड़ी है, खासकर हरियाणवी रागनी और गीत में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
जिसके चलते हरियाणा सरकार ने "पंडित लख्मीचंद कलाकार सामाजिक सम्मान योजना" नामक एक नई योजना लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना का उद्देश्य वरिष्ठ कलाकारों और लोक विधाओं के कलाकारों की वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है, जिन्होंने अपने सक्रिय जीवन के दौरान कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है या जो अभी भी इस क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं, लेकिन वृद्धावस्था के कारण अब सक्रिय रूप से अपनी कला का अभ्यास नहीं कर रहे हैं।
वित्तीय सहायता के रूप में 10,000 रुपये मासिक मानदेय मिलेगा
इस आशय का निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस योजना के तहत पात्र कलाकारों को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता के रूप में 10,000 रुपये मासिक मानदेय मिलेगा। हरियाणा का कोई भी निवासी जिसने गायन, अभिनय, नृत्य, नाटक, चित्रकला या दृश्य कला के अन्य रूपों जैसे क्षेत्रों में कलाकार के रूप में कम से कम 20 वर्षों तक काम किया है या कला के क्षेत्र में योगदान दिया है, वह इस योजना के तहत पात्र होगा। वर्ष 2020-21 और 2021-22 (कोविड-19 अवधि को छोड़कर) के दौरान प्रस्तुत किए गए आवेदन अनिवार्य माने जाएंगे।
दस्तावेज और कला प्रदर्शन की प्रेस क्लिपिंग भी जमा करनी होगी
आवेदकों को अपने आवेदन के साथ सहायक दस्तावेज और कला प्रदर्शन की प्रेस क्लिपिंग भी जमा करनी होगी। आवेदक की आयु 60 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, जैसा कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) के माध्यम से सत्यापित किया गया है। यदि पीपीपी सभी स्रोतों से 1.80 लाख रुपये तक की वार्षिक आय दर्शाता है तो आवेदक को प्रति माह 10,000 रुपये वित्तीय सहायता मिलेगी। यदि वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से 3 लाख के बीच है तो आवेदक को 7,000 रुपये मासिक मानदेय प्रदान किया जाएगा।
मरणोपरांत दादा लख्मीचंद जी को शेक्सपियर ऑफ हरियाणा से नवाजा गया
चंद सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद जी का जन्म 15 जुलाई 1903 को हरियाणा के सोनीपत जिले में जाट्टी कलां गांव में हुआ था। दादा लख्मीचंद जी ने रामायण, महाभारत, ब्रह्म ज्ञान एवं अनेक राजा महाराजाओं, महापुरुषों की जीवन शैली अपनी कलम से पिरो डाली। उनके द्वारा रचित रागनी, भजन, सांग हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में बड़े चाव से सुने जाते हैं। मरणोपरांत दादा लख्मीचंद जी को शेक्सपियर ऑफ हरियाणा से नवाजा गया।
इसलिए दादा लख्मीचंद जी अद्वितीय कवि बन गए। दादा लख्मीचंद जी के गुरु जी का नाम पंडित मानसिंह था। बुजुर्गों का कहना है कि लख्मीचंद के कंठ में माता सरस्वती विराजमान थी। उनकी रचनाओं में सबसे अहम " ब्रह्म ज्ञान " माना जाता है । ब्रह्म ज्ञान में दादा लख्मीचंद जी ने सतयुग से लेकर कलयुग तक की छवि उकेर दी । मनुष्य के जीवन से लेकर मृत्यु तक का भेद खोल दिया। दादा लख्मीचंद जी सत्य के प्रणेता माने जाते हैं।
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