
भारतीय सशस्त्र बल ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 7 मई की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले आतंकी ठिकानों पर हमला कर देश की बहन-बेटियों के उजड़े सिंदूर का बदला लिया। इस मिशन का नाम रहा 'ऑपरेशन सिंदूर'। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सशस्त्र बलों ने नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। सेना की इस कार्रवाई को बयां किया विदेश सचिव विक्रम मिस्री, शीर्ष सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने।
ऑपरेशन सिंदूर की कहानी बयां करने वाली देश का गौरव और महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी शीर्ष सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का नाम आज हर जुबां पर है। कर्नल सोफिया कुरैशी जहाँ गुजरात से संबंध रखती हैं, वहीं व्योमिका सिंह उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखती है, लेकिन व्योमिका सिंह का हरियाणा से भी गहरा नाता है। इस लेख में जानेंगे दोनों महिला अधिकारियों के बारे में।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर की अधिकारी हैं, जिन्होंने साल 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में भी काम किया है। यहां उन्होंने युद्ध विराम की निगरानी की और मानवीय मिशनों में सहायता की। गुजरात से आने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी के पास बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री है। लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया। सोफिया कुरैशी का जन्म और पालन-पोषण गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ। उनके पिता का नाम ताजुद्दीन कुरैशी और मां हनिमा कुरैशी हैं। उनके दादा और पिता, दोनों भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। यही वजह है कि सेना का अनुशासन और राष्ट्र सेवा का जज्बा सोफिया के खून में रहा। सोफिया ने वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से बीएससी और फिर एमएससी (बायोकैमिस्ट्री) की पढ़ाई पूरी की। उनका प्रारंभिक सपना प्रोफेसर बनने का था। उन्होंने विश्वविद्यालय में असिस्टेंट लेक्चरर के रूप में पढ़ाना शुरू किया और साथ ही पीएचडी कर रही थीं।
सेना में कैसी आई सोफिया
जब सोफिया को भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से चयनित होने का मौका मिला, तो उन्होंने अपनी पीएचडी और अध्यापन करियर छोड़ दिया। वर्ष 1999 में वह सेना की सिग्नल कोर (Corps of Signals) में कमीशंड हुईं। उनके इस फैसले ने न केवल उनके परिवार बल्कि देशभर की युवतियों को प्रेरित किया। सोफिया कुरैशी को सेना में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिला। वर्ष 2006 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक मिशन (UN Peacekeeping Operations) के तहत कांगो में छह वर्ष तक सेवा दी। वहां उन्होंने मल्टीनेशनल आर्मी के साथ मिलकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कार्यों में अहम भूमिका निभाई। 2016 में वह Force 18 नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। इस अभ्यास में 18 देशों ने भाग लिया जिनमें भारत, जापान, चीन, रूस, अमेरिका, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया आदि शामिल थे। इस अभ्यास का आयोजन 2 से 8 मार्च 2016 के बीच पुणे में हुआ था और सोफिया उस अभ्यास में भारतीय टुकड़ी की कमांडर बनने वाली एकमात्र महिला थीं।
बेटी ज़ारा सेना में जाने का संकल्प ले चुकी
सोफिया कुरैशी की शादी भी भारतीय सेना में कार्यरत अधिकारी मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है, जो मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में सेवारत हैं। दोनों का एक बेटा है। उनके भाई मोहम्मद संजय कुरैशी बताते हैं कि सोफिया उनकी बेटी ज़ारा के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं और ज़ारा भी सेना में जाने का संकल्प ले चुकी हैं। सोफिया कुरैशी को शांति अभियानों का अनुभव भी रहा है। वर्ष 2006 में उन्होंने कांगो (अफ्रीका) में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में मिलिट्री ऑब्जर्वर रूप में सेवाएं दीं। इसके अलावा उन्होंने ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पंजाब सीमा पर कार्य किया। वहीं, पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियान के दौरान उनके संचार कार्य को Signal Officer-in-Chief कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया।
चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में उड़ाने में माहिर व्योमिका सिंह
एयर फोर्स विंग कमांडर व्योमिका सिंह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखती हैं। भारतीय वायु सेना में वह एक विशेषज्ञ हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में कार्यरत हैं। विंग कमांडर व्योमिका विशेष रूप से चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में उड़ाने में माहिर हैं। वे अपने परिवार की पहली महिला सदस्य हैं, जिन्होंने पिछले 21 वर्षों से एयरफोर्स में सेवा देते हुए देश की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
हरियाणा के भिवानी की बहू है व्योमिका सिंह
जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाया, उसके बाद पूरी दुनिया की निगाहें उस प्रेस ब्रीफिंग पर थीं जिसमे मंच पर कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ थी आकाश की बेटी व्योमिका सिंह। भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भी पूरे आत्मविश्वास के साथ ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा की। वायुसेना की अधिकारी व्योमिका सिंह उत्तर प्रदेश की बेटी है तो हरियाणा के भिवानी जिले के गांव बापोड़ा की बहू हैं। उनका विवाह बापोडा निवासी एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन के पद पर कार्यरत दिनेश संभ्रवाल से हुआ है। यह वही गांव है जहां से भारत के पूर्व थलसेना अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे जनरल वीके सिंह भी आते हैं।
संभ्रवाल परिवार के 10 से अधिक सदस्य सेना में सेवा दे चुके
व्योमिका का ससुराल परिवार देश सेवा में अग्रणी रहा है। संभ्रवाल परिवार के 10 से अधिक सदस्य सेना में सेवा दे चुके हैं। उनके भतीजे एडवोकेट राम अवतार संभ्रवाल ने बताया कि व्योमिका सिंह के पति दिनेश सभ्रवाल एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन के पद पर कार्यरत है। व्योमिका सिंह के ससुर एवं दिनेश के पिता प्रेम संभ्रवाल एक्साइज कमिश्नर के पद से सेवानिवृत है और सामाजिक व्यक्ति है। व्योमिका सिंह, उनके पति दिनेश संभ्रवाल, ससुर प्रेम सभ्रवाल परिवार में शादी समारोह के दौरान गांव बापोड़ा आते रहते हैं। व्योमिका सिंह का देवर विकास संभ्रवाल कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान विभाग के एचओडी है।
हरियाणा की बहू पूरे देश की बेटियों के लिए नज़ीर बनी
व्योमिका व दिनेश सभ्रवाल की मुलाकात पढ़ाई के दौरान दिल्ली में हुई थी। उनके ससुर प्रेम संभ्रवाल एक्साइज विभाग से सेवानिवृत्त हैं, और गांव के एक प्रतिष्ठित सामाजिक व्यक्तित्व हैं। उनके देवर विकास संभ्रवाल, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष हैं। खास बात यह है कि बापोड़ा गांव पूरे हरियाणा में उस समय भी चर्चा में आया था जब जनरल वीके सिंह देश की थल सेना के प्रमुख बने थे। गांव के लोगों का कहना है कि उनके लिए ये गर्व की बात है कि उनके गांव की बहू पूरे देश की बेटियों के लिए नजीर बनी है। भले ही उनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ हो, लेकिन व्योमिका अब हरियाणा की बहू ही नहीं, देश की शान बन चुकी हैं।
वे चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की माहिर पायलट
शादी के बाद उन्होंने हरियाणा के ग्रामीण परिवेश को अपनाया और आज जब वे मंच पर देश की ओर से बोलती हैं, तो हर हरियाणवी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। 2004 में वायुसेना में कमीशन पाने वाली व्योमिका ने 2017 में विंग कमांडर पद हासिल किया और 2019 में स्थायी कमीशन प्राप्त किया। वे चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की माहिर पायलट हैं और 18,000 फीट तक की दुर्गम उड़ानें भर चुकी हैं। उनकी वीरता और विशेषज्ञता के लिए उन्हें वायुसेना प्रमुख सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों से प्रशंसा-पत्र और सम्मान मिल चुके हैं। वे ऊंचाई वाले बचाव अभियानों, धीरज मिशनों और त्रि-सेवा महिला पर्वतारोहण अभियान (माउंट मणिरंग-21,650 फीट) में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
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