loader
The Haryana Story | मदर्स डे विशेष : माँ और बच्चे के रिश्ते के बीच 'लालच' का कोई स्थान नहीं

मदर्स डे विशेष : माँ और बच्चे के रिश्ते के बीच 'लालच' का कोई स्थान नहीं

सबसे ऊँची व अच्छी मिसाल माँ और बच्चे के सांसारिक प्रेम की ही है

प्रतीकात्मक तस्वीर

मदर्स डे एक ऐसा दिन है जो कि सारे संसार में अपनी माताओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। माँ और बच्चे का संबंध ही सिर्फ एक ऐसा प्रेम है जो कि एक पवित्र व स्वार्थ से रहित है। यदि हम अपने जीवन से उदाहरण लें तो हम देखते है कि सबसे ऊँची व अच्छी मिसाल माँ और बच्चे के सांसारिक प्रेम की ही है। हम देखते हैं कि कैसे एक छोटा बच्चा अपनी माँ के बालों को खींचता है और उसके गालों पर थप्पड़ मारता है तो भी माँ को उसकी इन हरकतों पर क्रोध नहीं आता। यहाँ तक कि अगर बच्चा गंदगी से लिपटा हुआ अपनी माँ के पास आता है तो भी वह बच्चे को गले से लगा लेती है।

माँ द्वारा अपने बच्चे के लिए की गई कुर्बानियों व बलिदान का कोई अंत नहीं

एक माँ का प्रेम अपने बच्चे के लिए दिल से दिल की राह है। माँ और बच्चे के रिश्ते के बीच लालच का कोई स्थान नहीं है। एक माँ अपने बच्चे के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देती है। वह स्वयं अपनी थाली से भोजन लेकर बच्चे को खिलाती है। इसी प्रकार वह स्वयं अपना कोट उतारकर बच्चे को देती है ताकि उसका बच्चा गर्म महसूस कर सके। एक माँ द्वारा अपने बच्चे के लिए की गई कुर्बानियों व बलिदान का कोई अंत नहीं है। इस पवित्र रिश्ते में एक माँ अपने बच्चे के प्रेम के सिवाय इस दुनिया के जितने भी लगाव व प्रेम है उनको छोड़ देती है। 

एक माँ इस रिश्ते में अपना आपा अर्थात् अहंकार को त्याग देती

जब बच्चा उसकी बाहों में लेटा होता है तो वह सब कुछ भूल जाती है और सिर्फ अपने बच्चे के प्रेम में मगन रहती है। एक माँ इस रिश्ते में अपना आपा अर्थात् अहंकार को त्याग देती है। इसी प्रकार एक माँ अपने बच्चे की इच्छाओं के आगे स्वयं को झुका लेती है और उसकी निस्वार्थ भाव से सेवा करती है। हम जानते हैं कि एक माँ का अपने बच्चे के प्रति प्रेम नाजुक और हृदयस्पर्शी है। यह सांसारिक प्रेम का शुद्ध रूप है जो कि पूरी तरह से स्वार्थ से रहित है। इसके साथ ही बच्चों को भी यह जानना और समझना चाहिए कि उनकी माताएं किस प्रकार उनकी सेवा करती है और कितना वे उनके आराम और सुख-सुविधा के लिए त्याग करती हैं।

हम अपनी माताओं के लिए क्या करें ?

जब हम बड़े हों तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपनी माताओं के लिए क्या करें। हम उन्हें आदर सहित प्रेम करके ऐसा कर सकते हैं। हम अपने अंतर्मन से हमारे लिए की गई उनकी कोशिशें व प्रयासों को स्वीकार करें। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि एक प्रभु का प्रेम अपने शिष्य के लिए हजारों माताओं के प्रेम से भी बढ़कर है। सर्वश्क्तिमान पिता-परमेश्वर हम सभी को बहुत प्रेम करते हैं। वे हमसे किसी भी प्रकार की कोई आशा नहीं करते और वे केवल हमें देने के लिए ही आते हैं। वे हमेशा हमें अपने अंतर में जाकर उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करते है।

परम पिता-परमात्मा का भी शुक्रिया अदा करें

हम मदर्स डे के दिन यह प्रतिज्ञा करें कि हम अपनी माँ के निस्वार्थ प्यार को न सिर्फ मदर्स डे के दिन स्मरण करेंगे बल्कि उसे प्रतिदिन अपने दिलों में संजो कर रखेंगे। हम परम पिता-परमात्मा का भी शुक्रिया अदा करें कि उन्होंने हमें मानव जीवन का सुनहरा अवसर प्रदान किया है और उनके अनगिनत आशीर्वाद व असीम प्रेम का शुक्रिया अदा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम प्रेम से सदाचारी जीवन जीते हुए ध्यान अभ्यास में समय दें और आध्यात्मिक मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ें।

📖✒️संत राजिंदर सिंह महाराज, आध्यात्मिक गुरु 

Join The Conversation Opens in a new tab
×