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The Haryana Story | किस दिन है वट सावित्री अमावस्या...26 या 27 ?, जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

किस दिन है वट सावित्री अमावस्या...26 या 27 ?, जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्य व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख लाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते

प्रतीकात्मक तस्वीर

सनातन धर्म में वट सावित्री अमावस्या का बहुत ही खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्य का पुण्य फल अवश्य मिलता है और इसके साथ ही पवित्र नदियों में स्नान और दान-धर्म का भी विशेष महत्व है। बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा।

इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए तपस्या की थी

सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है। ऐसे में वट सावित्री व्रत 26 मई को रखा जाएगा। इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाने के लिए तपस्या की थी, इसलिए यह व्रत पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या को महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। व्रतधारी महिलाएं वट वृक्ष पर लाल सूत्र लपेटकर परिक्रमा करती हैं और बरगुले लूटाये जाते हैं।

इस दिन किए गए अच्छे कार्य व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख लाते

वट सावित्री व्रत कब करें? स्नान-दान कब करना उचित रहेगा?  ज्येष्ठ मास की अमावस्या सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सुख-समृद्धि व अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं व्रत रखकर वट सावित्री व्रत का पूजन करती हैं। पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण-पिंडदान और दान की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्य व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख लाते हैं।

26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा, स्नान-दान 27 मई को

वट वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। अमावस्या को लेकर अब की बार असमंजय की स्थिति है। वट सावित्री व्रत कब करें? स्नान-दान कब करना उचित रहेगा? उसे लेकर लोगों में असमंजस बना है। सनातन धर्म के मर्मज्ञ उसका निदान करते हुए बताते हैं कि 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा, जबकि स्नान-दान 27 मई को होगा। 

इस दिन दान-धर्म करने से पुण्य फल मिलता

तीर्थस्थल में स्नान-दान करने से मिलेगा अक्षय पुण्य ज्येष्ठ अमावस्या पर किसी तीर्थस्थल में पवित्र नदियों में स्नान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलने के साथ अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र नदियों में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें। फिर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। इस दिन दान-धर्म करने से पुण्य फल मिलता है और समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

इस दिन की पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. वट वृक्ष के नीचे पूजा करें, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें।
  3. वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा बांधें। सावित्री और सत्यवान की पूजा करें।
  4. व्रत कथा सुनें या पढ़ें। दान-धर्म करें। 

 

जानें मुहूर्त 

  1. 26 मई को वट सावित्री के दिन सुबह 8:52 बजे से लेकर सुबह 10:25 बजे तक चौघड़िया मुहूर्त रहेगा।  
  2. 26 मई को भरणी नक्षत्र सुबह 8:23 बजे तक रहेगा। 
  3. 26 मई को सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। 
  4. वट सावित्री व्रत के दिन दोपहर 3:45 बजे से शाम को 5:28 बजे तक पूजा के लिए शुभ योग है। 
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