
दक्षिण पश्चिम मानसून ने तय समय से 8 दिन पहले केरल में दस्तक दे दी है। इससे पहले 2009 में मानसून ने समय से पहले दस्तक दी थी। तब 23 मई को यह केरल पहुंचा था। मतलब अबकी मानसून का आगमन 16 वर्ष बाद सबसे जल्दी हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां तैयार हो गई थीं। दो दिनों से केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। आगे बढ़ते मानसून सिस्टम और कम दबाव वाले क्षेत्र के संयोजन की वजह से यह हो रहा है।
सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान
आईएमडी ने इस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया है। विभाग ने अल नीनो की स्थिति की संभावना खारिज कर दी है। अल नीनो की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम बारिश होती है। बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून आम तौर पर एक जून तक केरल पहुंचता है। इसके बाद आठ जुलाई तक यह देश को कवर कर लेता है। मौसम अधिकारियों के अनुसार लगभग दो महीने बाद 17 सितंबर के आसपास मानसून उत्तर पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू हो जाता है। इसके बाद 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है।
जानें किस-किस वर्ष में कब-कब हुई मानसून की एंट्री
सबसे पहले वर्ष 1918 में मानसून 11 मई को ही केरल पहुंच गया था। वहीं 1972 में इसने सबसे देरी से 18 जून को केरल में दस्तक दी थी। बीते 25 साल में 2016 में मानसून सबसे देरी से आया था। तब 9 जून को इसने केरल में दस्तक दी थी। बता दें कि 2024 में मानसून ने 30 मई को दक्षिण भारत में दस्तक दी थी। वहीं 2023 में यह 8 जून को, 2022 में 29 मई को और 2021 में 3 जून को केरल पहुंचा था। 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में मानसून ने 29 मई को केरल में दस्तक दी थी।
40-50 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं भी चलेंगी
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने दक्षिणी भारत के तटीय-दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल और कोंकण व गोवा में अलग-अलग जगहों पर भारी से भारी वर्षा की संभावना जताई है। दक्षिण कोंकण तट के पास पूर्व-मध्य अरब सागर पर एक दबाव बना है और आज सुबह यह रत्नागिरी से करीब 40 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इसके पूर्व की ओर बढ़ने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा है कि केरल और तटीय कर्नाटक में 29 मई तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश का अनुमान है। इस दौरान 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं भी चलेंगी। वहीं तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में भी आने वाले पांच दिन में छिटपुट बारिश या गारज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।
मानसून की घोषणा के लिए मौसम विभाग कुछ वैज्ञानिक मानकों का करता है पालन
बता दें कि मानसून की घोषणा के लिए मौसम विभाग कुछ वैज्ञानिक मानकों का पालन करता है। इनमें केरल और आसपास के क्षेत्रों में 14 निर्धारित मौसम केंद्रों में से कम से कम 60% केंद्रों पर लगातार दो दिन तक 2.5 मिमी या उससे अधिक बारिश दर्ज होना शामिल है। इसके अलावा 925 hPa के स्तर पर पश्चिमी हवाएं 15-20 नॉट की रफ्तार से चलनी चाहिए और 600 hPa तक उनकी गहराई होनी चाहिए, वहीं एक खास क्षेत्र में आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) का स्तर 200 W/m² से नीचे होना चाहिए। इस बार ये सभी मानदंड पूरे होने पर मानसून की आधिकारिक घोषणा कर दी गई।
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