
डीसी, एसपी सरीखे प्रशासनिक अधिकारी अब हर महीने सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। वहां बच्चों के साथ अपने शैक्षणिक काल के अनुभव सांझा करेंगे। बच्चों के शिक्षा के साथ यातायात नियमों का पाठ पढ़ेंगे। साथ ही स्कूलों की व्यवस्थाओं पीने के पानी, शौचालय, पंखे आदि का भी निरीक्षण करेंगे। जिसके आधार पर स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाएं मुहैया कराने का प्लान तैयार किया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने सभी डीसी, एसपी से सहयोग मांगा है और जल्द ही इस संबंध में पत्र जारी किया जाएगा।
किसी स्कूल में किसी स्तर की खामियां न रहे
शिक्षा मंत्री स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के प्रयास में जुटे है, ताकि बेहतर परिणाम आ सके। हालांकि इस बार सरकारी स्कूलों का परिणाम बेहतर रहा है। इसी कड़ी में किसी स्कूल में किसी स्तर की खामियां न रहे और शिक्षक लापरवाही न बरते। बच्चे किसी तरह डिप्रेशन में न रहे इसके लिए शिक्षा मंत्री ने प्रशासनिक अधिकारियों का सहारा लिया है। नई योजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों में डीसी, एसपी हर महीने कम से कम दो-दो स्कूलों यानी 15 दिन में एक स्कूल का निरीक्षण करेंगे। इसके लिए उपायुक्त एसडीएम स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधीक्षक डीएसपी स्तर के अधिकारियों को भी भेज सकते है।
हर महीने कम से कम चार-चार स्कूलों का निरीक्षण अवश्य हो
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के निर्देश है कि हर महीने कम से कम चार-चार स्कूलों का निरीक्षण अवश्य हो। इस दौरान उक्त प्रशासनिक अधिकारी बच्चों से बातचीत कर उनके मन की बात जानेंगे, स्कूल के माहौल के बारे में जानेंगे कि स्कूल में पढ़ाई कैसे होती है, शिक्षक समय पर आते हैं या नहीं, पढ़ाते हैं या नहीं आदि। बच्चों के अलावा प्रशासनिक अधिकारी शिक्षकों व स्टाफ से भी बैठक कर स्कूलों की जरूरतों के बारे में विचार-विमर्श करेंगे। मगर मुख्य उद्देश्य बच्चों के दिमाग से शिक्षा, परीक्षा या अन्य किसी तरह का दबाव कम करना है। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारी बच्चों के साथ अपने अनुभव साझा कर उन्हें बेहतर के लिए प्रेरित करेंगे। स्कूलों की जांच के बाद उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक इसकी रिपोर्ट शिक्षा मंत्री को भेजेंगे जिसके बाद स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाओं की प्लानिंग बनाई जाएगी।
बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने की कवायद तेज
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के 10वीं और 12वीं के परिणाम के बाद स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने की कवायद तेज हो गई। इसके लिए परिणाम के टॉप टेन स्कूल और टॉप 10 फिसड्डी स्कूलों के प्रिंसिपल और स्टाफ को बुलाया गया। फिसड्डी स्कूलों कमियां दूर करने की रणनीति बनाई जा रही है। स्कूलों में बेहतर व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे है। कई बार बच्चे भ्रमित हो जाते हैं, उन्हें परीक्षा का दबाव लगने लगता है।
ऐसे में डीसी, एसपी व अन्य अधिकारी उनके साथ अपने अनुभव साझा कर उनके तनाव को दूर कर सकते है। यह उक्त्त अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी भी है। इसीलिए डीसी, एसपी, एसडीएम, डीएसपी के स्कूल निरीक्षण का प्लान बनाया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा स्कूली शिक्षा के दौरान ही विद्यार्थियों को काम करने में सक्षम बनाने के लिए उद्यमिता सिलेबस पर काम किया जा रहा है जो कि नौवीं से 12वीं के बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
उद्यमिता का सिलेबस पढ़ेंगे नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थी
स्कूलों में सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं अब उन्हें रोजगारपरक शिक्षा भी दी जाएगी। इसके लिए उद्यमिता का सिलेबस भी पढ़ाया जाएगा। इस पर मंथन चल रहा है ताकि 12वीं कक्षा के बाद भी बच्चा नौकरी के योग्य हो। इसके लिए नौवीं से 12वीं तक उद्यमिता सिलेबस होगा और तीन-तीन महीने की इंटर्नशिप होगी। उन्हें प्रैक्टिकल करवाया जाएगा।
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