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करनाल में एक किसान ने 1.5 एकड़ में सेब की खेती की हुई है, किसान ने करनाल में सेब की खेती कर जम्मू-कश्मीर बना दिया, जिसके बाद कृषि मंत्रीने किसान के खेत में पहुंचे। कृषि मंत्री किसान की मेहनत और तकनीक की खूब सराहना की और सेब का स्वाद भी चखा। कृषि मंत्री ने सेब का स्वाद चखने के बाद कहा यहा पर काफी तरह की वैरायटी की खेती किसान नरेंद्र द्वारा की गई है। सेब और आम के पेड़ भी है। लीची के पेड़ भी है मल्टीपर्पज बाग है। यहां पर पनीरी भी पैदा करते हैं दूसरे किसानों को बागवानी के लिए प्रेरित भी करते हैं। गर्मी में जो पेड़ फल देगा वो भी यहां पर मौजूद हैं। सेब की भी अलग वैरायटी, सेब का स्वाद बहुत अच्छा था रस भी ज्यादा है सेब में।
खुद सेब की पौध तैयार करते
वहीं सेब की खेती करने वाले किसान ने जानकारी देते हुए बताया खेत तो कृषि मंत्री राणा जी के ही है, बिना सरकार के किसान पनप नही सकता, किसान जहा पर भी दुखी होता है कृषि मंत्री जी उनके साथ खड़े होते हैं। किसान को जो भी दिक्कत होती है साथ खड़े होते हैं। उन्होंने कहा शुरुआत में पालमपुर से सेब की पौध लेकर आये थे, लेकिन अब वह खुद सेब की पौध तैयार करते हैं। 50 डिग्री तक टेंपरेचर सहन कर लेता है। अगर इस वैरायटी को बर्फ में लगाएंगे तो ये नही होगी जैसे बर्फ की वैरायटी यहां पर नहीं हो सकती है।
मंत्री ने सेब खुद तोड़ा और सेब का टेस्ट भी किया
मंत्री ने सेब खुद तोड़ा और सेब का टेस्ट भी किया है, वही बताएंगे सेब का स्वाद कैसा लगा,उन्होंने कहा अगर किसान बागवानी की तरफ आ जाये तो पढ़े लिखे किसानों से और बच्चो से जानकारी प्राप्त कर बागवानी करते हैं तो 100 प्रतिशत मुनाफे में रहेगे। गेंहू जीरी की खेती कुत्ते के मुंह में हड्डी के बराबर है। जैसे हड्डी में से कुछ नही निकलता, अगर किसान गेंहू जीरी की खेती करेगा तो वो उंसमे ही पिस्ता रहेगा। बागवानी मछली पालन में आएगा तो मुनाफा कमा सकता है।
प्राकृतिक खेती समय की मांग
मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्राकृतिक खेती समय की मांग है। इससे जमीन के साथ-साथ लोगों की सेहत में भी सुधार होगा। जहरीला अनाज खाने से लोगों की सेहत भी खराब हो रही हैं और वे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि इस नर्सरी में बागवानी पौधों की पौध तैयार की जाती है जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में परंपरागत खेती में बदलाव आया है। मछली पालन के साथ-साथ बागवानी और डेयरी क्षेत्र में भी किसानों का रुझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान कृषि का है।
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