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The Haryana Story | गुटबाज़ी पर लगेगा विराम..राहुल का कड़ा रुख -पार्टी को मजबूत करने की राह में 'गुटबाजी' बाधा नहीं बननी चाहिए, संगठन बनाने को लेकर भी स्पष्ट की स्थिति

गुटबाज़ी पर लगेगा विराम..राहुल का कड़ा रुख -पार्टी को मजबूत करने की राह में 'गुटबाजी' बाधा नहीं बननी चाहिए, संगठन बनाने को लेकर भी स्पष्ट की स्थिति

बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि संगठन बनाने में किसी भी नेता की सिफारिश पर विचार नहीं किया जाएगा

राहुल गांधी

हरियाणा कांग्रेस की एक बैठक बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई, जिसका उद्देश्य पार्टी के दिग्गजों के बीच चल रही कलह को समाप्त करना और संगठनात्मक ढांचा तैयार करना था। चंडीगढ़ स्थित पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में 'संगठन सृजन कार्यक्रम' के तहत प्रदेश नेताओं और पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में करीब तीन घंटे तक बैठक चली। कांग्रेस के कई दिग्गजों के अनुसार, बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि संगठन बनाने में किसी भी नेता की सिफारिश पर विचार नहीं किया जाएगा। अगर कोई ऐसा करता है तो संबंधित नेता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर ऐसे कार्यकर्ता हों जो कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करते हों, किसी नेता विशेष के लिए नहीं।

गुटबाजी के कारण होने वाले राजनीतिक नुकसान को पार्टी नहीं झेलेगी

पार्टी नेताओं के बीच गुटबाजी के कारण होने वाले राजनीतिक नुकसान को पार्टी नहीं झेलेगी। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। बैठक समाप्त होने के बाद राहुल गांधी दोपहर ढाई बजे कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के साथ चंडीगढ़ एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए। हरियाणा विधानसभा चुनाव में करीब 8 महीने पहले पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी पहली बार कार्यालय पहुंचे। 30 जून से पहले होगा जिला अध्यक्षों का चुनाव उपरोक्त के अलावा प्रदेश प्रभारी बीके हरि प्रसाद ने कहा कि गुजरात में संगठन सृजन अभियान शुरू हो गया है। 

30 जून से पहले जिला अध्यक्ष का चुनाव करेंगे

पहले नेता प्रतिपक्ष (सीएलपी) और पीसीसी नेता जिला अध्यक्ष का चुनाव करते थे, लेकिन अब वे 30 जून से पहले जिला अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। हर जिले में 6 लोगों का पैनल बनाया जाएगा। 35 से 55 साल की उम्र के लोग जिला अध्यक्ष बन सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा को न मानने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और खिलाड़ी भी जिला अध्यक्ष पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। कांग्रेस छोड़ने वालों को पार्टी में वापसी का नहीं होता पार्टी नेताओं ने कहा कि जो लोग किसी कारण पार्टी छोड़कर चले गए थे अब वह वापसी कर सकते हैं। प्रभारी ने कहा कि एससी-एसटी महिलाओं को भी महत्व दिया जाना चाहिए। 

पार्टी को मजबूत करने की राह में गुटबाजी बाधा नहीं बननी चाहिए

पार्टी को मजबूत करने की राह में गुटबाजी बाधा नहीं बननी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो कार्रवाई और जरूरी कदम उठाए जाएंगे। यह बात राहुल गांधी ने कही है। जो लोग कांग्रेस पार्टी छोड़कर चले गए हैं, वे वापस आ सकते हैं। राहुल गांधी के चंडीगढ़ दौरे को गौरवपूर्ण दिन बताते हुए प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने कहा कि राहुल गांधी पहली बार पार्टी मुख्यालय आए और अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद उन्होंने हरियाणा कांग्रेस के लिए समय निकाला। हरियाणा में संगठन की कमी के कारण बेचैनी थी। राहुल गांधी का आना दर्शाता है कि कांग्रेस संगठन को लेकर गंभीर है। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस कार्यालय में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समेत 17 वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। 

22 जिला पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की और उनका मंतव्य व फीडबैक लिया

करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद उन्होंने प्रदेश में पार्टी का संगठन खड़ा करने के लिए हाईकमान की ओर से नियुक्त 22 जिला पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की और उनका मंतव्य व फीडबैक लिया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के कई महीने बीत जाने के बावजूद राज्य में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पिछले 11 सालों से न तो विपक्ष का नेता नियुक्त कर पाई है और न ही संगठनात्मक ढांचा खड़ा कर पाई है। हुड्डा और कुमारी शैलजा खेमे में गुटबाजी के चलते पार्टी हाईकमान विपक्ष का नेता नियुक्त करने और संगठनात्मक ढांचे के मामले में संतुलन बनाने में विफल रही है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने बीच चल रही अनबन से इनकार करते रहे

सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा विपक्ष का नेता नियुक्त न करने को लेकर विधानसभा के अंदर और बाहर कांग्रेस नेताओं के बीच चल रही अनबन का हवाला देकर कांग्रेस पर कटाक्ष करती रही है। हालांकि, कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने बीच चल रही अनबन से इनकार करते रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसके अलावा पार्टी के लिए राज्य में संगठनात्मक ढांचा तैयार करना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं लग रहा है, जिसे विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार का एक मुख्य कारण माना जा रहा है। पार्टी के विरोधी गुटों में वर्चस्व की लड़ाई के चलते संगठनात्मक नियुक्तियां नहीं हो पाई, जिसके चलते पार्टी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में विफल रही और नतीजतन पार्टी को चुनाव में अप्रत्याशित पराजय का सामना करना पड़ा।

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