
हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में रेणु भाटिया के बने रहने पर कानूनी सवाल बने हुए हैं, क्योंकि उनका कार्यकाल जनवरी 2025 में पूरा हो चुका है और इसके बावजूद वे अभी भी पद पर बनी हुई है। तीन साल पहले 17 जनवरी 2022 को राज्य की तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा इस पद पर मनोनीत (नियुक्त) की गई रेणु भाटिया ने 18 जनवरी 2025 को अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। गौरतलब है कि रेणु दिसंबर 2017 से दिसंबर 2020 तक आयोग की सदस्य भी रहीं।
आयोग की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल तीन साल से अधिक नहीं हो सकता
हालांकि, हरियाणा सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पिछले साल 26 नवंबर 2024 को जारी पत्र के अनुसार, आयोग की अध्यक्ष के रूप में रेणु भाटिया का कार्यकाल 18 जनवरी 2025 के बाद अगले आदेश तक बढ़ाए जाने का उल्लेख किया गया था। मामले में है कानूनी पेंच, धारा 4 (1) के अनुसार अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल तीन साल तक ही उपरोक्त मामले में कानूनी पेंच है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए विशेषज्ञों का मत है कि हरियाणा राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2012 की मौजूदा धारा 4 (1) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि आयोग की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल तीन साल से अधिक नहीं हो सकता।
18 जनवरी 2025 को अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर चुकी
हालांकि हरियाणा में शीला भ्याण तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला सरकार में 5 साल तक तथा सुशीला शर्मा भूपेंद्र हुड्डा सरकार में 6 साल तक हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इन दोनों के कार्यकाल में राज्य महिला आयोग के लिए राज्य विधानसभा द्वारा उपरोक्त कानून नहीं बनाया गया।
अब चूंकि हरियाणा महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्ष रेणु भाटिया 18 जनवरी 2025 को अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर चुकी हैं, इसलिए उन्हें इससे अधिक समय तक उस पद पर बनाए रखने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सीधे सरकारी पत्र के माध्यम से जारी आदेश पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए सबसे पहले राज्य सरकार को विधानसभा द्वारा उपरोक्त कानूनी धारा में उचित संशोधन लेकर आना होगा, जिसे हरियाणा विधानसभा के वर्तमान बजट सत्र, जो 28 मार्च 2025 तक चलेगा, में तुरंत किया जा सकता है।
अधिकतम तीन वर्ष के लिए नियुक्त कर सकती है, इससे अधिक नहीं
मामले को लेकर सीएम, राज्यपाल और कई जगह ज्ञापन भेजा जा चुका इसी के मद्देनजर विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री नायब सैनी, महिला एवं विकास मंत्री श्रुति चौधरी, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधीर राजपाल, महानिदेशक मोनिका मलिक, राज्य कानूनी सलाहकार (एलआर) रितु गर्ग और राज्य महाधिवक्ता (एजी) परविंदर चौहान को ज्ञापन भेज चुके हैं। इस संबंध में हेमंत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा मई 2016 में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय ने हरियाणा महिला आयोग अधिनियम, 2012 की धारा 4 (1) की व्याख्या करते हुए उल्लेख किया था कि इस कानूनी प्रावधान के अनुसार राज्य सरकार आयोग के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को अधिकतम तीन वर्ष के लिए नियुक्त कर सकती है, इससे अधिक नहीं।
कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से होना चाहिए
यह निर्णय कमलेश पांचाल, जिन्हें मई 2014 ,में राज्य की तत्कालीन भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था, तथा सुमन दहिया को उपाध्यक्ष नियुक्त किया था, द्वारा दायर याचिकाओं के संबंध में दिया गया था, जबकि वर्ष 2015 में मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने दोनों को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का आदेश जारी कर दिया था। उपरोक्त के क्रम में यह बताना उचित होगा कि हरियाणा राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2012 की धारा 3(2) के अनुसार आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त एक उपाध्यक्ष तथा अधिकतम पांच सदस्य हो सकते है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किया जाएगा, जिसमें से कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से होना चाहिए।
उपरोक्त अधिकारियों के अतिरिक्त, 2012 के कानून के अनुसार एक वरिष्ठ महिला एचसीएस या आईएएस महिला अधिकारी आयोग की सदस्य सचिव होगी। इसके अलावा, महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रशासनिक सचिव आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य होगी। इसी प्रकार, महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक तथा राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) आयोग के पदेन (अपने पद के कारण) सदस्य होंगे।
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