
हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्तायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत एक अभिनव पहल के अंतर्गत "ऑपरेशन द्रोणगिरि" के प्रथम चरण में भारत सरकार ने हरियाणा सहित पांच राज्यों को चयनित किया है। डॉ. मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार की पहल को देखते हुए हरियाणा सरकार ने "ऑपरेशन द्रोणगिरि" के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय कमेटियां गठित रूप में चुना गया है। इस पहल की प्रभावी निगरानी एवं समन्वय सुनिश्चित करने हेतु हरियाणा सरकार ने एक राज्य स्तरीय समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता भूमि अभिलेख निदेशक, हरियाणा करेंगे। सर्वे ऑफ़ इंडिया, हरियाणा के निदेशक को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।
हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश राज्यों को भी प्रथम चरण के लिए चुना
समिति में HARSAC के निदेशक, जिला राजस्व अधिकारी (मुख्यालय), सहायक निदेशक (मुख्यालय) और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय से आईटी महाप्रबंधक अभिनव पहल भी इसके सदस्य होंगे। की हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में सोनीपत जिले को प्रथम चरण के लिए प्रारंभिक तौर पर योजना के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास, आर्थिक समृद्धि एवं सूचना आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश राज्यों को भी प्रथम चरण के लिए चुना गया है।
सर्वे ऑफ़ इंडिया है इस परियोजना की नोडल एजेंसी
डॉ. मिश्रा ने बताया कि ऑपरेशन द्रोणगिरि का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले भू-स्थानिक आंकड़ों को सेवा प्रदाताओं तक पहुंचाना है, ताकि कृषि, परिवहन, बुनियादी ढांचा, आजीविका एवं कौशल विकास जैसे क्षेत्रों की विशिष्ट चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इस परियोजना की नोडल एजेंसी सर्वे ऑफ़ इंडिया है, और हरियाणा के सोनीपत जिले को इसके आरंभ स्थल के जिला स्तर पर सोनीपत में जिला उपायुक्त इस समिति की अध्यक्षता करेंगे, जबकि सर्वे ऑफ़ इंडिया, हरियाणा के अधीक्षक सवेर् क्षक सदस्य सचिव होंगे। जिला राजस्व अधिकारी, सोनीपत, एवं राजस्व व आपदा प्रबंधन विभाग के आईटी महाप्रबंधक सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।
क्या है ऑपरेशन द्रोणागिरी
ऑपरेशन द्रोणागिरी, राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 के तहत एक पायलट परियोजना है, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और नवाचारों के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करना है, विशेष रूप से कृषि, आजीविका, रसद और परिवहन जैसे क्षेत्रों में, ताकि नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो और व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सके। यह परियोजना भू-स्थानिक डेटा और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके उद्योगों में सहयोग और नवाचार को बढ़ाने पर केंद्रित है।
इसे एकीकृत भू-स्थानिक डेटा साझाकरण इंटरफ़ेस (जीडीआई) के साथ जोड़ा गया है, जो मानचित्रण प्रक्रिया को सरल बनाने और डेटा संग्रह में सहायता करने के लिए एक उपकरण है। ऑपरेशन द्रोणागिरी का पहला चरण उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में लागू किया जाएगा। संक्षेप में, ऑपरेशन द्रोणागिरी भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने की एक पहल है, जिसका उद्देश्य नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है।
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