
2024 के इलेक्शन से पहले हरियाणा को बड़ा झटका लगा। चुनावी वर्ष में हरियाणा के रोहतक के पुराने कांग्रेस नेता कृष्णमूर्ति हुड्डा ने कांग्रेस छोड़ दी है। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ई मेल से पत्र भेजकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता त्याग दी है। हालाँकि उनका कांग्रेस छोड़ने की संभावना पहले भी कई बार बन चुकी थी।
भाजपा में होंगे शामिल
12 फ़रवरी को कृष्णमूर्ति हुड्डा भाजपा में शामिल होंगे। इस अवसर पर भाजपा के संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी के साथ पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आने की संभावना हो सकती है। कृष्णमूर्ति का कहना है कि उनके समर्थक सेक्टर 6 में राजीव गांधी स्टेडियम के मुख्य द्वार पर इकट्ठे होंगे। वहाँ से जुलूस निकालते हुए भाजपा के नए प्रदेश कार्यालय में जाकर शामिल होंगे।
उनका कार्यकाल कुछ इस प्रकार रहा
कृष्णमूर्ति हुड्डा 1982-1986 के दौरान भजनलाल सरकार में चेयरमैन रहे हैं। 1991 से 1996 में तक श्रम(लेबर) मंत्री भी रहे हैं। उन्हें 1996 में किलोई हल्के से चुनाव लड़ा थे किन्तु श्री कृष्ण हुड्डा ने उन्हें हरा दिया था।
कृष्णमूर्ति का बयान: कांग्रेस पिता पुत्र की पार्टी बनकर रह गई है
कृष्णमूर्ति हुड्डा काफ़ी बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आलोचना और उन पर बयानबाजी करते दिखाई देते रहे हैं। कृष्णमूर्ति हुड्डा को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विरोधी माना जाता है। अब उनका कहना है कि अब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है तो अब वे हुड्डा के बारे में कुछ नहीं कहना चाहते। साथ ही उन्होंने कहा वे पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा को कोई सलाह नहीं देना चाहते। अब उनके बत्रा से कोई बातचीत नहीं है। पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा का कहना था कि पार्टी में चल रही ग़लत नीतियों का मुद्दा लेकर उन्होंने राहुल गांधी से मिलने का प्रयास भी किया और वह यह प्रयास पिछले दस साल से कर रहे हैं किंतु यह हो नहीं पाया।
उनका कहना था कि कांग्रेस पिता-पुत्र की पार्टी बनकर रह गई है। उनका संकेत भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा की तरफ़ था। उन्होंने यह आरोप लगाया कि वे दोनों किसी भी नेता को रोहतक में उभरने का मौक़ा नहीं देते हैं। कृष्णमूर्ति हुड्डा का कहना था कि कांग्रेस में उन्हें कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था। उसकी वजह से उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है और अब वे मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भाजपा पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं।
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