
हरियाणा में बगैर मान्यता के चल रहे निजी स्कूल अब बच्चों के दाखिले नहीं कर पाएंगे। शिक्षा विभाग अब गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर चुका है। निजी स्कूलों को जिस कक्षा तक की मान्यता मिली हुई है, केवल उसी कक्षा तक दाखिले की अनुमति मिलेगी। अवैध रूप से संचालित सभी स्कूलों की सूची अखबारों में प्रकाशित की जाएगी, जिससे अभिभावक इनमें अपने बच्चों के दाखिले न कराएं। इसको लेकर डीईओ ने सभी बीईओ की विशेष बैठक बुलाई, जिसमें सभी बीईओ को अपने खंड के अधीनस्थ चल रहे गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता वाले निजी स्कूलों की सूची 2 दिनों के अंदर सार्वजनिक किए जाने को कहा।
बच्चों के अभिभावक स्वयं ही जिम्मेदार होंगे
उल्लेखनीय है कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की जनहित याचिका में हरियाणा सरकार की तरफ से शपथ पत्र दिया गया, जिसके बाद से ही गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता वाले स्कूलों के अस्तित्व पर संकट छा गया है। ऐसे स्कूलों में अब 1 अप्रैल से दाखिला नहीं होंगे। वहीं अगर इन स्कूलों के अंदर बच्चों के दाखिला होता है बच्चों के अभिभावक स्वयं ही जिम्मेदार होंगे। गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद कराने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों की जवाबदेही तय की है। शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।
अनेक स्थानों पर धड़ल्ले से चल रहे कई स्कूल
मालूम रहे कि अनेक स्थानों पर आज भी धड़ल्ले से बिना मान्यता के स्कूल चल रहे हैं। इसी कारण अब शिक्षा विभाग चौकन्ना हो गया है और गैर मान्यता और अस्थायी मान्यता वाले स्कूलों पर शिकंजा कस रहा है। वहीं प्ले स्कूलों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है। रिहायशी मकानों और इलाकों में प्ले स्कूल खुल गए हैं।
दाखिला संबंधी गतिविधियों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी
बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची सार्वजनिक किए जाने के साथ-साथ इन स्कूलों में दाखिला संबंधी गतिविधियों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की जिला शिक्षा अधिकारी फिजिकल वेरिफिकेशन कराएंगे और फिर इन्हें बंद करने का नोटिस देंगे।
एक मान्यता पर दूसरे गांव में ब्रांच चला रहे निजी स्कूलों पर भी कसा शिकंजा
शिक्षा विभाग ने एक मान्यता पर दूसरे गांव में ब्रांच चला रहे निजी स्कूलों पर भी शिकंजा कसा है। बड़ी संख्या में मान्यता प्राप्त स्कूल अपना नाम अलग गांव में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूल को बेच रहे हैं। नियमानुसार एक स्कूल जिसे जिस गांव या शहर की मान्यता मिली हुई है, सिर्फ उसी स्थान पर ही स्कूल चला सकता है। दूसरे गांव में ब्रांच खोलने पर उसे शिक्षा विभाग से नए सिरे से मान्यता लेनी पड़ती है।
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