
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ में असामाजिक तत्वों का आतंक
हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ में 9 अप्रैल, 2024 की रात को एक भयावह घटना घटी। विश्वविद्यालय परिसर के अंदर कुछ बाहरी और असामाजिक तत्वों ने छात्रों और छात्राओं पर हमला कर दिया। मारपीट के दौरान विद्यार्थियों ने एक हमलावर को पकड़ भी लिया था, लेकिन ना तो सुरक्षा अधिकारी ने कोई कार्रवाई की और ना ही छात्रावास की वार्डन ने।
विद्यार्थियों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन
अगले दिन जब विद्यार्थी अपनी सुरक्षा को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तब लॉ डिपार्टमेंट के कुछ छात्रों ने उन्हें रोक दिया और फिर उनके साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। लड़कियों के साथ भी बदसलूकी की गई। सभी प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों को ब्लॉक से बाहर निकाल दिया गया और उन्हें धमकियां दी गईं।
एबीवीपी ने की कार्रवाई की मांग
इस पूरे मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य तृप्ति सैनी ने कहा कि एक छात्रा के पेट पर लात मारी गई और जो छात्रा बचाव में आई, उसके बालों को खींचकर उसे पीटा गया। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक है कि वहा विभागों के कुछ अध्यापक थे, जिन्होंने इस तरह की घटना को अंजाम देने के लिए विद्यार्थियों को उकसाया।
केंद्रीय विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष रक्षित शर्मा ने कहा कि ऐसी घटनाएं विश्वविद्यालय परिसर में पहली बार नहीं हुई हैं, बल्कि ये लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसका मुख्य कारण विश्वविद्यालय की कमजोर और भ्रष्ट सुरक्षा व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अगर अब भी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो विद्यार्थियों का विश्वास विश्वविद्यालय प्रशासन से उठ जाएगा। इसलिए प्रशासन से माँग की गई है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई करके दोषियों को सजा दी जाए, ताकि विद्यार्थी अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें।
एबीवीपी द्वारा हस्ताक्षर अभियान
इस घटना के बाद एबीवीपी पिछले दो दिनों से हस्ताक्षर अभियान चला रही है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। दोषी आज भी विश्वविद्यालय परिसर में घूम रहे हैं और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को लगातार धमकियां दी जा रही हैं। अगर उनके साथ कुछ भी होता है, तो इसकी जिम्मेदारी स्वयं विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। एबीवीपी ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारियों से मांग की है कि इस पूरे घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए तत्काल कार्रवाई की जाए, अन्यथा वह बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए मज़बूर होगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
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