
राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अपने प्रतिद्वंदी को मात देने के लिए सामने वाला हर तरह के दाव-पेंच चलता है। साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल करना इस क्षेत्र की ख़ूबी है। वहीं अब बात करते हैं हरियाणा की सबसे हॉट करनाल लोकसभा सीट की। सूत्रों के मुताबिक इस सीट पर भी ऐसा ही कुछ होने की संभावना जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने वीरवार की देर रात करीब 11 बजे ही दिव्यांशु बुधिराजा को लोकसभा करनाल से टिकट देकर चुनावी रण में उतारा है। वहीं ये भी सामने आ रहा है कि आज ही वर्ष 2018 के एक मामले में पंचकूला कोर्ट ने बुद्धिराजा को पीओ घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि कोर्ट द्वारा मामले में पेश होने के लिए कई बार सम्मन जारी किए गए थे, लेकिन बुधिराजा पेश नहीं हुए। अब ऐसी में सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या कांग्रेस आलाकमान इस मामले से अनभिज्ञ थी या इनकी कोई और रणनीति है, इस स्थिति को देखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर करनाल लोकसभा सीट को बेचने का आरोप लगा है।
जाने दिव्यांशु बुधिराजा के बारे में
दिव्यांशु बुधिराजा मूल रूप से सोनीपत के गोहाना के रहने वाले हैं और वर्तमान में कर्नल के सेक्टर -4 में रहते हैं। दिव्यांशु बुधिराजा युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं। दिव्यांशु एनएसयूआई के नेता भी रह चुके हैं और पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रधान भी रह चुके हैं
बुधिराजा ने जांच में सहयोग नहीं किया
गौरतलब है कि हरियाणा कांग्रेस ने करनाल लोकसभा सीट पर मनोहर लाल के खिलाफ युवा चेहरे दिव्यांशु बुधिराजा को प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है। वहीं आरोप है कि दिव्यांशु बुधिराजा 15 दिसंबर 2023 को भगोड़े घोषित हो चुके थे। उनके खिलाफ पंचकुला में मामला दर्ज किया गया था। बताया जा रहा है कि दिव्यांशु बुधिराजा ने जांच में सहयोग नहीं किया, न ही वह मामले में आज तक पेश हुए हैं। ऐसे में उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। इस बात का खुलासा एक महिला ने आरोप लगाते हुए किया है। माना जा रहा है कि भगोड़ा घोषित होने के बाद दिव्यांशु चुनाव में नामांकन नहीं भर सकते। अब देखना ये है कि ये सिर्फ दिव्यांशु बुधिराजा को कमजोर करने के लिए मुद्दा उठाया जा रहा है या हक़ीक़त इससे कुछ अलग है।
क्या है मामला
बताया जा रहा है कि वर्ष-2018 में सेक्टर-14 थाना में डैमेज ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी का मामला पुलिस ने दिव्यांशु के ख़िलाफ़ दर्ज किया था। इसके अलावा 16 जनवरी 2018 में भी एक मामला दिव्यांशु के ख़िलाफ़ दर्ज हुआ था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पंचकुला के सेक्टर-1 कॉलेज में काले झंडे दिखाए गए थे। इसमें दिव्यांशु और उसके दोस्त हार्दिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
टिकट के बाद पीओ घोषित वाला मामला सामने आना, इसके कई मायने
अब विचारणीय बात ये है कि आख़िर 6 साल बाद दिव्यांशु को पीओ घोषित किए जाने वाला मामला सामने आया। वह भी तब जब दिव्यांशु कांग्रेस की टिकट पर भाजपा के प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने मैदान में उतारे गए हैं। अब लोकसभा टिकट के बाद पीओ घोषित वाला मामला सामने आना, इसके अलग ही मायने लगाए जा सके। लेकिन देखने वाली बात यह है कि अब आने वाले समय में होता क्या है? कितनी मुश्किलें दिव्यांशु को उठानी पड़ सकती हैं।
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