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The Haryana Story | अनुबंध की शर्त पर एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने किया नामंजूर

अनुबंध की शर्त पर एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने किया नामंजूर

अब 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

किसान आंदोलन-2 का थमना मुश्किल नजर आ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से मसूर, उड़द, अरहर (तूर), मक्की और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने नामंजूर कर दिया है, लेकिन सरकार के साथ बातचीत जारी रहेगी। अब 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा। वहीं आज 20 फरवरी को किसान आंदोलन का 8वां दिन है। प्रदेश के जिलों में इंटरनेट बंद करने की समय सीमा को लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिस कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब इस बीच सरकार ने नया आदेश जारी किया है। हरियाणा गृह विभाग से जारी नए आदेश के अनुसार अब इंटरनेट 20 फरवरी रात 12 बजे तक बंद रहेगा। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता जारी रखेंगे। 21 फरवरी की सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा। 

कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही

इससे पहले रविवार रात को चौथे दौर की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने धान और गेहूं के अलावा पांच अन्य फसलों पर एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव पेश किया था। इसके लिए किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से पांच साल का करार करना होगा। डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। डल्लेवाल ने कहा कि सोमवार को उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही।   

अब किसान जल्द दिल्ली कूच करेंगे

एक किसान नेता जयसिंह जलबेड़ा ने कहा कि 21 फरवरी को हम सभी किसान दिल्ली कूच के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हमारी यही प्राथमिकता है कि शांति से हल निकले, अगर ऐसा नहीं होता तो हमे दिल्ली कूच करना पड़ेगा। चाहे फिर किसी भी स्थिति का सामना क्यों न करना पड़े। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के बदले केंद्र की ओर से जो प्रस्ताव सामने आया है, वह हमारी मांगों की सहमति के मापदंडों से बहुत दूर है। दरअसल, मंत्रियों ने किसान संगठनों को एमएसपी की नहीं, बल्कि खरीद के कॉन्ट्रैक्ट की गारंटी दी है। यानी करार के तहत सरकार की नोडल एजेंसियों के माध्यम से पांच साल के लिए फसलों की खरीद सुनिश्चित की जा रही है। 5 वर्ष के बाद सरकार का कदम क्या रहेगा, इस पर कोई प्लान नहीं है। फिलहाल अब किसान जल्द दिल्ली कूच करेंगे।   

गांवों की सड़कों पर बढ़ने लगी वाहनों की कतार

किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे 44 बंद है। मारकंडा नदी पुल के पास सील किए गए हाईवे पर ढील देने की बजाए सुरक्षा के बंदोबस्त और बढ़ा दिए गए हैं। सरकार के साथ चली किसानों की बैठक में भी कुछ खास सकारात्मक परिणाम न मिलने के चलते सुरक्षा बलों के जवान और अलर्ट हो गए हैं। ऐसे में दिन भर राहगीरों और वाहन चालकों को आसपास के गांवों से निकलने वाले रास्तों से ही जाना पड़ा।

सरकार के मन में है खोट 

वरिष्ठ किसान नेता लखविंद्र सिंह ने कहा कि बैठक में समझौता न होने से एक बार फिर यह जाहिर हो गया है कि सरकार के मन में खोट है। वह किसानों की मांगों को पूरा करने के मूड में नहीं है, जिसके चलते किसानों ने भी दिल्ली कूच के लिए बड़ी तैयारियां शुरू कर दी हैं। यदि 21 फरवरी को भी सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया तो फिर किसान सरकार की ओर से बॉर्डरों पर की गई सुरक्षा को उन्हें उखाड़ फेंकेंगे और दिल्ली कूच करके ही दम लेंगे। बॉर्डर पर जूट की बोरियों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सोमवार को भी एक ट्रॉली भरकर काफी बोरियां लाई गईं। इसके अलावा पानी की बौछार करने के लिए ट्रैक्टरों के पीछे खेतों में स्प्रे का छिड़काव करने वाली टंकियां देखी जा रही हैं। इन बोरियों को गीला करके आंसू गैस के गोलों पर डालकर उनको शांत किया जाता है।

देर रात चलता है लंगर

दात्तासिंह वाला बॉर्डर पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हरियाणा के भी काफी किसान पंजाब की तरफ बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। धीरे-धीरे किसानों का काफिला बढ़ता जा रहा है। इस बार महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है। महिलाएं अपने बच्चों को लेकर मोर्चा संभाल रही हैं।दात्तासिंह वाला बॉर्डर पर लगातार लंगर चल रहे हैं। इसमें सभी किसानों के लिए हर समय भोजन तैयार रहता है। सुबह ही सेवादार लंगर बनाने शुरू कर देते हैं, जो देर रात तक चलता रहता है। अब यहां माहौल किसी गुरुद्वारे या घर से कम नहीं है। किसानों को केवल अपनी मांगें पूरी करवाने की चिंता है। 

सरकार का एमएसपी से जुड़ा प्रस्ताव किसी काम का नहीं 

किसान नेताओं के अनुसार सरकार का एमएसपी से जुड़ा प्रस्ताव किसी काम का नहीं है। वह कह रहे हैं हमारे पास डाटा और रिकॉर्ड है। अगर किसान धान छोड़कर मक्का, बाजरा या कोई दूसरी फसल बोते हैं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी दिया जाएगा। मगर धान और गेहूं पंजाब हरियाणा में है। हरियाणा में भी कुछ क्षेत्र में ही धान होता है। मगर जो दूसरे राज्य हैं वह क्या करेंगे। जैसे राजस्थान में हम तो चना, सरसों, गेहूं, ग्वार, बाजरा, ज्वार, अरहर, उड़द और दूसरी फसल बोते हैं, उनका क्या होगा। अब कर्नाटक की तरफ किसान बीज की खेती करता है उसे कैसे इस फार्मूले से एमएसपी मिलेगा। सरकार को सभी किसानों की तरफ देखना होगा। यह फार्मूला तो किसानों के साथ मजाक जैसा है। अभी भी सरकार किसानों को उलझाने का काम कर रही है।

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