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The Haryana Story | दीपेंद्र हुड्डा ने उठाई आवाज: 50% से अधिक ओलंपिक पदक जीतने वाले राज्य को मिला मात्र 3% बजट

दीपेंद्र हुड्डा ने उठाई आवाज: 50% से अधिक ओलंपिक पदक जीतने वाले राज्य को मिला मात्र 3% बजट

हरियाणा के साथ खेल बजट में अन्याय, सांसद ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, गुजरात और उत्तर प्रदेश को मिले अधिक फंड पर जताई नाराजगी 

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा के रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उन्होंने खेलो इंडिया बजट में हरियाणा के साथ हो रहे अन्याय पर सवाल खड़े किए हैं। हुड्डा ने कहा कि हरियाणा, जो देश के लिए 50% से अधिक ओलंपिक पदक जीतता है, उसे खेलो इंडिया के 2200 करोड़ रुपये के बजट में से मात्र 65 करोड़ रुपये यानी 3% से भी कम हिस्सा मिला है।

सांसद हुड्डा ने अपने भाषण में कहा, "यह बेहद दुखद है कि जो राज्य देश के लिए सबसे अधिक पदक जीतता है, उसे इतना कम बजट दिया गया है।" उन्होंने बताया कि 21वीं सदी में भारत को मिले 20 व्यक्तिगत ओलंपिक पदकों में से 12 पदक अकेले हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते हैं।

हुड्डा ने यह भी उल्लेख किया कि ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ी 40 से 50 प्रतिशत पदक जीतते हैं। इस साल के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले 21 प्रतिशत खिलाड़ी हरियाणा से हैं।

सांसद ने गुजरात और उत्तर प्रदेश को दिए गए अधिक बजट की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा, "गुजरात और उत्तर प्रदेश को 400 करोड़ रुपये से अधिक दिए गए, जबकि हरियाणा को मात्र 65 करोड़ रुपये मिले। यह स्पष्ट भेदभाव है।"

हुड्डा ने सरकार से मांग की कि खेल बजट का आवंटन पदकों के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा, "जो राज्य अधिक पदक जीतता है, उसे अधिक बजट मिलना चाहिए। यह न्यायसंगत होगा।"

सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह भेदभाव लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला है। उन्होंने कहा, "यह समझ से परे है कि सरकार को हरियाणा से क्या नाराजगी है। भले ही गुजरात और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है, लेकिन हरियाणा में भी अभी भाजपा ही सत्ता में है।"

अंत में, हुड्डा ने सरकार से आग्रह किया कि वह हरियाणा के साथ न्याय करे और राज्य को उसके खेल में योगदान के अनुसार उचित बजट आवंटित करे। उन्होंने कहा, "हरियाणा के खिलाड़ी जब पदक जीतते हैं, तो पूरे देश का गौरव बढ़ता है। इसलिए राज्य को उसके योगदान के अनुरूप सम्मान और संसाधन मिलने चाहिए।"

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